वी कुमार/मंडी
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आषाढ़ सक्रांति पर मंडी के रोहांडा स्थित बड़ा देव कमरूनाग के मंदिर में सरानाहुली उत्सव बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पैदल सफर कर मंदिर में बड़ा देव कमरूनाग के दरबार में हाजरी भरी। इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने यहां पर बनी पवित्र झील की पूजा अर्चना की और अपनी मनोकामना की प्राप्ति पर झील में अपनी आस्थानुसार पैसे व जेवर चढ़ाए।
ऐसी मान्यता है कि बड़ा देव कमरूनाग जी से जो भी श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ कुछ मांगते हैं तो बड़ा देव उनकी मनोकामना को अवश्य ही पूरा करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु कमरूनाग के मंदिर में हाजरी भरना और यहां पर स्थित पवित्र झील में चढावा चढाना कभी नहीं भूलते। इस मौक पर देव कमरूनाग के मंदिर परिसर में एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। जिसका श्रद्धालु भरपूर आनंद उठाते हैं।
इस मौके पर बड़ा देव कमरूनाग के पुजारी नीलमणी ने बताया कि उनकी पूरी कमेटी देवता की पौराणिक परंपराओं का निर्वहन करने के लिए वचनबद्ध है। उनके अनुसार भविष्य में भी इसे ऐसे ही संजोकर रखा जाएगा। इस मौके पर जिला के ही नहीं बल्की समूचे हिमाचल प्रदेश से श्रद्धालु यहां पर पहुंच कर देव कमरूनाग के दर्शनों से निहाल होते हैं। यही नहीं बाहरी राज्यों से भी श्रद्धालु बड़ा देव कमरूनाग की कमरूघाटी में पहुंच कर आध्यात्मिक शांति को प्राप्त करते हैं।
जो श्रद्धालु यहां पर पहली बार आता है। वह बार-बार इस स्थान पर आने की इच्छा जाहिर करते हैं। श्रद्धालुओं के अनुसार बड़ा देव कमरूनाग से वह जो भी मन्नत मांगते हैं वो अवश्य पूरी होती है। इससे श्रद्धालुओं की अटूट आस्था बड़ा देव कमरूनाग जी के साथ जुड़ी हुई है। अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु मंदिर में आते हैं व इसके साथ यहां पर पवित्र झील की पूजा भी करते हैं व श्रद्धानुसार झील में पैसे और सोने-चांदी के जेवर आदि भेंट करते हैं। बता दें कि बड़ा देव कमरूनाग जी का मंदिर रोहांडा की ऊंची चोटी पर स्थित है और यहीं पर एक बड़ी झील है।
ऐसा माना जाता है कि मंदिर की इस झील में पैसे और सोना-चांदी सदियों से चढ़ाए जाता है।जिसके कारण ऐसा अनुमान है कि झील में अरबों रुपए की राशी और जेवर मौजूद हैं जो कि अपने आप में एक रहस्य है। कमरूनाग मंदिर पहुंचने के लिए कई स्थानों से पैदल रास्ते हैं। जिनको पार कर श्रद्धालु देवता के मंदिर तक पहुंचते हैं। हालांकि अब कुछ स्थानों से सड़क सुविधा भी दी गई है। जिससे लोगों को कठिन पैदल चढाई चढने से निजात मिली है। जबकि कुछ लोग एक दिन पहले यहां पहुंच कर रात यहीं बिताते हैं। सरानाहुली उत्सव के मौके पर मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए रास्ते में लंगर का आयोजन भी दानी सज्जनों के द्वारा किया जाता है।