नितेश सैनी/सुंदरनगर
कहते हैं, मन में किसी के लिए कुछ करने की इच्छा हो तो इंसान सात समुंद्र पार से भी सहायता करने में पीछे नहीं हटता। स्पेशल बच्चो के लिए ऐसा ही प्यार फेसबुक के माध्यम इंग्लैंड की लिंडसे को देवभूमि खींच लाया है।
सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार के स्पेशल चिल्ड्रन स्कूल में आजकल एक विदेशी मेहमान के आने से चहल-पहल है। लिंडसे ने फेसबुक के माध्यम से साकार स्कूल के अधिकारियों से संपर्क किया फिर कॉलेज के एजुकेशनल टूर पर पहुंच गई। लिंडसे स्कूल के विशेष बच्चो के साथ रहकर उनके क्रियाकलापों पर अध्ययन कर रही है। इस दौरान वह स्थानीय संस्कृति और परम्पराओ की भी जानकारी लेंगी, जो कि उनके अध्ययन का हिस्सा है। स्टेफोर्डशिरे विश्वविद्यालय की स्कालरशिप पर भारत आई लिंडसे ने साकार स्कूल के बच्चो के साथ अच्छी खासी मित्रता कर ली है।
युवती यहां के कार्यरत विशेष अध्यापकों व अध्यापिकाओं के साथ मिलकर बच्चो के बारे में जानकारियां प्राप्त कर रही है। उनके अध्ययन के साथ बच्चो को अंग्रेजी पढ़ाने का काम भी मिला है। बेशक वह अपने घर से चार हज़ार किलोमीटर दूर है, मगर संस्थान के प्रबधंकों के प्रयास से उन्हें वह हर चीज सीखने का मौका मिल रहा है, जो कि उनके इस एजुकेशनल टूर के लिए जरूरी है। यही नहीं उनकी कॉलेज भी रोज उनके कार्यो का अपडेट ले रहा है। स्पेशल बच्चो के साकार स्कूल की अध्यक्ष शीतल शर्मा ने कहा कि इंग्लैंड की लिंडसे ने फेसबुक के माध्यम से संपर्क किया । स्कूल में कई ऐसे बच्चे भी थे, जो अच्छे से अभ्यास नहीं कर पाते थे, लेकिन अब बो भी अच्छे से अभ्यास कर पा रहे है।
मिसाल बनी सादगी
इंग्लैंड की लिंडसे की सादगी उनके व्यक्तित्व में भी दिखती है। वह जब से आई है संस्थान में एक नई ऊर्जा आई है। बताते है कि उन्होंने स्थानीय गांव की लड़कियों की तरह सलवार कुर्ता और दुपट्टा पहनती है। जबकि उन्हें यहां का खानपान और पहाड़ी टोपी खूब भा रही है। उनकी ये सादगी मिसाल बनी है।