एमबीएम न्यूज़/हमीरपुर
प्रदेश के स्कूलों में छात्रों व छात्राओं के हित को ध्यान में रखते हुए सेक्सुअल हरासमेंट कमेटीयों का गठन शिक्षा विभाग द्वारा किया गया है। इस कमेटी का दायित्व होता है कि समय समय पर छात्राओं की काउंसलिंग की जाए तथा अगर कोई छेड़छाड़ या हरासमेंट का मामला सामने आता है तो तुरन्त उच्च अधिकारियों को सूचित करने के साथ ही पुलिस को भी सूचित किया जाए। लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि ये कमेटी मामले को सामने लाने के बजाय दबाने में लिप्त पाई गई है।
सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा को स्कूल प्रिंसिपल मोबाइल देने के बाद पैसे भी भेजता रहा। इसके बाद छात्रा के घरवालों को शक होने पर उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल से पूछताछ की तथा छात्रा का स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लेकर उसे अन्य स्कूल में दाखिल करवाया। प्रिंसिपल द्वारा संतोषजनक जवाब न दिए जाने पर अभिभावकों द्वारा स्कूल की अन्य छात्राओं से भी पूछताछ की गई। इसके बाद खुद स्कूल प्रिंसिपल मामले को रफा दफा करने व पीड़ित परिवार पर दवाब बनाने के लिए पीड़ित छात्रा के पिता से भी मिला।
हैरानी की बात है कि लगभग एक हफ्ते से चले इस घटनाक्रम की भनक सैक्सुअल हरासमेंट कमेटी को नहीं लगी। शिक्षा उपनिदेशक के स्कूल पहुंचने पर भी मामले को छुपाया जाता रहा। पुलिस भी मामले की जानकारी होने के वावजूद शिकायत न मिलने की बात कहकर खुद को कार्यवाही करने में असमर्थ बताती रही। इसके बाद पीड़ित छात्रा के पिता की शिकायत व अभिभावकों,ग्रामीणों व एस एम सी कमेटी सदस्यों के हंगामे के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तथा आरोपी प्रिंसीपल को हिरासत में लिया गया।
इस सारे घटनाक्रम के बाद अन्य स्कूली बच्चे सहमे हुए हैं तथा स्कूल जाने में आनाकानी कर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि यदि सैक्सुअल हरासमेंट कमेटी अपना दायित्व ठीक ढंग से निभाती तो आरोपी पहले ही सलाखों के पीछे होता तथा हंगामा भी नहीं होता। एसएमसी कमेटी प्रधान संजीव के अनुसार घटनाक्रम के अगले दिन स्कूल में 280 में से केवल 116 छात्र ही उपस्थित हुए हैं। शिक्षा उपनिदेशक हायर जसवंत सिंह के अनुसार हरासमेंट कमेटी की इस प्रकरण में कार्यशैली संदिग्ध है,जांच के बाद दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।