नितेश सैनी/सुंदरनगर
कहते हैं, कुदरत दिव्यांगों व मानसिक रूप से विक्षिप्तों को एक खास हुनर देता है। या फिर कोई अनोखी ताकत। यह बात, शहर के वार्ड नंबर-7 के रहने वाले मानसिक रोगी कर्ण सेन पर खरी उतरी है। मेडिकल साईंस खुद इस बात पर हैरान है कि आखिर 35 साल का युवक एक नहीं, बल्कि 8 स्टील के चम्मचों के अलावा चाकू, टूथब्रश, पेंचकस व कुंडी कैसे निगल गया। फिर दूसरा अचंभा इस बात को लेकर है कि इतना कुछ निगलने के बाद वो ठीक-ठाक कैसे था। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सबसे पहले इस खबर को प्रकाशित किया था। इसके बाद शाम होते-होते खबर को नामी मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित करना शुरू कर दिया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इन तमाम वस्तुओं का कर्ण ने कब सेवन किया था। अब चूंकि कर्ण की सर्जरी हुई है। साथ ही वो मानसिक रोगी होने के कारण सही तरीके से न बता पाए, लेकिन अगर इस दुर्लभ सर्जरी को करने वाले विशेषज्ञों की मानें तो कर्ण ने नुकीला चाकू 3 से 5 दिन पहले ही निगला था। इसके अलावा बाकी वस्तुओं का सेवन 20 से 30 दिन के भीतर किया होगा।
भाई आशीष गुलेरिया व जीजा सुरेश पठानिया की मानें तो शल्य चिकित्सा के बाद जब उन्होंने कर्ण से हल्की बात की तो उसने यह जवाब दिया कि वो दवाईयां खा रहा था, लिहाजा वह सोचता था कि यह तमाम वस्तुएं पेट में जाकर खुद ही जल जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि कर्ण को पेट में हल्का दर्द हुआ, इसके बाद ही उसे अस्पताल लाया गया था। प्रारंभिक जांच में ही एक्स-रे रिपोर्ट देखकर चिकित्सकों के होश उड़ गए थे। चार घंटे में तमाम वस्तुओं को कर्ण के पेट से निकाल लिया गया। चिकित्सकों ने यह भी कहा है कि कर्ण की हालत खतरे से बाहर है।
सर्जन डॉ. सूरज भारद्वाज का कहना है कि यह कहना बेहद ही कठिन है कि आखिर इतनी वस्तुओं को खाने के बाद वो कैसे ठीक रहा। उल्लेखनीय है कि चिकित्सकों की टीम में डॉ. निखिल सोनी, डॉ. सूरज भारद्वाज, डॉ. रनीश के अलावा डॉ. मोनिका पठानिया के साथ नर्सिंग स्टॉफ भी मौजूद था।
कुल मिलाकर पहले लोगों द्वारा सिक्के, पिन, बाल व कांच निगलने के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन यह मामला अपने आप में ही अनोखा है। सोशल मीडिया में इस घटना पर लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
https://youtu.be/exQSo8nzxQg