वी कुमार/मंडी
क्या आप यकीन करेंगे कि जो व्यक्ति सांसद रहा हो और उसका गांव आज दिन तक सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया हो। शायद यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो, लेकिन यह सच है। मंडी संसदीय सीट से इकलौते दलित सांसद रहे स्व. गोपी राम का गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम है। 21वीं सदी के इस दौर में किसी भी नेता का घर ऐसा नहीं मिलेगा, जिसे सड़क सुविधा से नहीं जोड़ा गया होगा। आज तो हर नेता अपने घर के आंगन में गाड़ी खड़ी करके सीधे घर में प्रवेश करता है। लेकिन मंडी संसदीय सीट से रहे इकलौते दलित सांसद स्व.गोपी राम का गांव आज भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। यह गांव मंडी शहर और नेशनल हाईवे के साथ सटा हुआ है।
मंडी जिला की ग्राम पंचायत भरौण का चडयाणा गांव। इस गांव में है स्व. गोपी राम का घर। गोपी राम 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनावों में मंडी से दलित सांसद के रूप में चुने गए थे। उस वक्त एक सीट से दो प्रतिनिधियों को चुने जाने की व्यवस्था थी। रानी अमृत कौर के साथ गोपी राम भी चुने गए थे और पांच वर्षों तक सांसद रहे थे। उसके बाद राज्य सरकार में भी गोपी राम ने विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी थी। चडयाणा गांव पूरी तरह से दलित बाहुल्य गांव है। यहां 90 प्रतिशत की आबादी दलित समुदाय की है, लेकिन गांव के लिए सड़क की कोई सुविधा नहीं। स्व. गोपी राम के स्पुत्र राजेंद्र मोहन बताते हैं कि नेशनल हाईवे से गांव तक पैदल ही जाना पड़ता है। यदि गांव में कोई बीमार हो जाए तो आज भी उसे उठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ता है।
गांव के लिए मात्र तीन किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण होना है। बीच में कुछ भूमि वन विभाग की आ रही है, जिस कारण सड़क निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। राजेंद्र मोहन बताते हैं कि वन विभाग की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है, ताकि सड़क निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया जा सके। गांव के लोग सड़क निर्माण का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि इस वक्त आचार संहिता लगी है जिस कारण यह कार्य अभी नहीं हो सकता। ऐसे में यह चुनावों बीतने का इंतजार कर रहे हैं। राजेंद्र मोहन का कहना है कि अगर चुनावों के बाद इस कार्य में तेजी नहीं लाई गई तो फिर गांव के लोग संघर्ष की राह पर उतर जाएंगे, जिसके लिए शासन व प्रशासन ही दोषी होगा।
बता दें कि गोपी राम कांग्रेस पार्टी से संबंध रखते थे और कांग्रेस पार्टी के टिकट पर ही सांसद चुनकर दिल्ली गए थे। यह एकमात्र मौका था जब इस सीट से दोहरी व्यवस्था के चलते किसी दलित को सांसद चुना गया था, उसके बाद फिर कभी यहां से दलित नेता को नहीं चुना गया। लेकिन जो चुनकर गए थे उनके गांव तक आज दिन तक सड़क नहीं पहुंच पाई है।