एमबीएम न्यूज़ /नाहन
ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री दशमेश अस्थान साहिब में आज दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह साहिब महाराज जी का प्रकाश उत्सव मनाया गया। इस दौरान 11 जनवरी से शुरू हुए अखंड पाठ साहिब की आज प्रात: 10 बजे समाप्ति उपरांत शब्द कीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें बाहरी राज्यों से आकर रागी जत्थों शब्द कीर्तन कर संगत को निहाल किया। इस दौरान विशेष लंगर का आयोजन भी किया गया। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। नगर कीर्तन की अगुवाई करते पंच प्यारे f
इससे पूर्व गुरूद्वारा परिसर में हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल एवं राज्य वन निगम के निदेशक विनय गुप्ता ने भी शीश नवाया। जिन्हें प्रबंधक कमेटी की ओर से सीरपो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अपने संबोधन में डा. बिंदल ने गुरू गोबिंद साहिब साहिब महाराज जी एवं साहेबजादों पर एक कविता पेश की। तथा समूह साध संगत को प्रकाश उत्सव की बंधाई दी। इसके पश्चात गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान अमृत सिंह शाह ने भी अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि दसवें गुरू गोंबिन्द सिंह जी द्वारा जो परंपराऐं स्थापित की गई थी उसका अनुसरण सिख समुदाय के लोगों द्वारा अक्षरश: किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि श्री गुरू गोबिन्द सिंह त्याग और तपस्या की एक अनूठी मिसाल है जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व निछावर किया था। उन्होंने कहा कि यह गौरव का विषय है कि दसवें गुरू गोबिन्द सिंह साहिब महाराज जी 30 अपै्रल, 1685 को नाहन आए और यहां पर आठ महीने 10 दिन व्यतीत किए। इस दौरन उनके द्वारा दो रियासतों सिरमौर और फ तेहशाह टिहरी के मध्य वर्षो से चल रहे सीमा विवाद को आपसी समझौता से सुलझाया गया था।
इस दौरान भाई गुरमीत सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह, भाई जसबीर सिंह, भाई तारा सिंह पांवटा साहिब वालों ने कीर्तन कर संगत को निहाल किया। दोपहर बाद गुरूद्वारा परिसर से विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। नगर कीर्तन की अगुवाई पंच प्यारों ने की। इस मौके पर गुरू ग्रंथ साहिब महाराज जी की पालकी आर्कषण का केंद्र रही। नगर कीर्तन शहर के नया बाजार, मालरोड़, गुन्नुघाट, पक्का टैंक, बस अड्डा, बाल्मीकि नगर, गोबिंदगढ़ मौहल्ला होते हुए देर रात गुरूद्वारा परिसर में सम्पन्न हुआ। नगर कीर्तन में जगह जगह संगतों के लिए खाने पीने के लिए स्टाल आदि लगाए गए एवं विभिन्न शहर की सामाजिक संस्थाओं ने नगर कीर्तन का स्वागत करते हुए गुरू के चरणों में शीश नवाया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरू ग्रंथ साहिब महाराज जी के समक्ष शीश नवाया।
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