एमबीएम न्यूज/शिमला
कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक समिति में नियुक्तियों का मामला तूल पकड़ रहा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में चेयरमैन राजीव भारद्वाज ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के आदेश से भर्तियां रद्द की गई हैं। वहीं अभ्यार्थियों ने हाईकोर्ट के आदेश की प्रतिलिपि को जारी किया है। इसके मुताबिक 28 दिसंबर 2018 को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने भर्तियों को रद्द करने का फैसला ले लिया है, लिहाजा याचिका को खारिज किया जाता है।
अब सवाल उठता है कि क्या केसीसी बैंक के चेयरमैन को हाईकोर्ट के आदेश की सही तरीके से जानकारी नहीं है या फिर जानबूझ कर अनभिज्ञ बन रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि चेयरमैन खुद 28 दिसंबर को बैठक में मौजूद रहे होंगे। जयराम सरकार ने 27 दिसंबर को अपनी सरकार की पहली वर्षगांठ मनाई, वहीं 28 दिसंबर को अभ्यार्थियों के लिए मायूसी का दिन था। अभ्यार्थी बार-बार यही सवाल उठा रहे हैं कि जब विजीलेंस की जांच में भी कुछ नहीं पाया गया तो जानबूझ कर राजनीतिक कारणों से भर्ती को क्यों रद्द किया जा रहा है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब केसीसी बैंक चेयरमैन से हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा को लेकर सीधा सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी नहीं देखा है। इतना तय है कि भाजपा के लिए केसीसी भर्ती की प्रक्रिया को रद्द करना गले की फांस बन सकता है। अभ्यार्थियों से वसूली गई फीस को लेकर चेयरमैन का यह कहना था कि इस बारे कुछ नहीं कह सकते, लेकिन इतना जरूर है कि आने वाले वक्त में फीस की दरें घटाने पर विचार किया जा सकता है। इस भर्ती प्रक्रिया में करीब सवा लाख उम्मीदवारों ने आवेदनपत्र भरे थे। स्कूल शिक्षा बोर्ड के माध्यम से परीक्षा आयोजित की गई थी। साक्षात्कार तक प्रक्रिया निपट चुकी थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद ही सरकार का भर्ती के प्रति रुख बदल गया।
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