रेणु/दीक्षा कश्यप
निजी स्कूल बस हादसे के बेहद दुखद मंजर से चार मासूम बच्चे अब भी अनजान हैं। इन मासूम बच्चों के चेहरे पर जब मुस्कान आती है तो मेडिकल कॉलेज के स्टाफ समेत देखने वालों को एक लंबा सुकून मिलता है। चार साल की साक्षी अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। साक्षी के सिर पर चोट आई है, घाव भर रहे हैं। हल्की सी गुदगुदी पर खिलाकर हंसती है तो मां इसे कुदरत का करिश्मा ही मानती है।
वहीं चार साल की ही मन्नत भी नटखट है। हाथ में मोबाइल पकड़ कर कार्टून देखकर दर्द भूल जाती है। बच्ची के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान अस्पताल में मौजूद मां व बुआ के चेहरे पर भी मुस्कुराहट पैदा कर देती है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इन बच्चों से मुलाकात कर परिजनो के मन की पीड़ा व डर को करीब से जाना। साक्षी के साथ ही दूसरे बैड पर 8 वर्षीय भाई सुमित भी है। सुमित उस भयानक मंजर को भी याद कर सिहर उठा। बोला, टायर निकल गया था। इसके बाद ब्रेक नहीं लगी। ड्राईवर अंकल ने बस को रोकने की काफी कोशिश की, लेकिन बस नहीं रुकी। मैं लुढ़क कर खिड़की से बाहर गिर गया था। इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है।
साक्षी व सुमित की दो बहनें पीजीआई में उपचाराधीन हैं। बस में एक माता-पिता के चार बच्चे सफर कर रहे थे। कुदरत ने इस हादसे में दंपत्ति के चारों ही बच्चों का जीवन संरक्षित रखा है। सर्जिकल वार्ड के बैड नंबर 3 पर आयुष की आंख पर चोट के गहरे निशान हैं, लेकिन हौंसले से हालत में सुधार आ रहा है। हिम्मत से बोला, जब मैं और बस ठीक हो जाएगी तो स्कूल जाऊंगा। एलकेजी में पढ़ने वाले आयुष को नहीं पता है कि हादसे में उसके 7 वर्षीय भाई आदर्श की मौत हो चुकी है। घटनास्थल से महज चंद मीटर पहले ही आयुष अपने भाई आदर्श के साथ कांडो गांव से चढ़ा था। आयुष के पिता गोपाल सिंह भी उन लोगों मे शामिल थे, जो सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे थे। अधिकतर बच्चों को आयुष के पिता ने ही सड़क तक पहुंचाया।
https://youtu.be/JuCkPrlUlyE
इस हादसे में वो बच्चे सुरक्षित बचे हैं, जो बस के लुढ़कते ही छिटककर खिड़की से बाहर जा गिरे थे। कुल मिलाकर अब इन नन्हें बच्चों के जख्म धीरे-धीरे भर जाएंगे, लेकिन यह सवाल जस का तस रहेगा कि क्या अब सरकार दिखावे की बजाय धरातल पर असल कार्रवाई करेगी या नहीं।
https://youtu.be/sBh92qir8yw