नाहन (रेणु/ संध्या) : सिरमौर में नाहन व पांवटा विकास खंड में निचले क्षेत्रों की पंचायतें सर्पदंश को लेकर संवेदनशील हैं। मानसून के शुरू होते ही इन इलाकों में सर्पदंश की लगभग 20 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। नाहन की पंचायतों में सर्पदंश के कारण दो महिलाओं की मौत भी हो चुकी है।
दरअसल सांप के काटने की आशंका गर्म क्षेत्रों में रहती है। ठंडे इलाकों में इसकी कम घटनाएं सामने आती हैं। नाहन व पांवटा के तराई क्षेत्रों में बारिश के दौरान सांप अपने बिलों से बाहर आने लगते हैं, क्योंकि हल्की सी धूप निकलने पर उमस बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त खेतों में फसलों पर आक्रमण करने वाले चूहे व अन्य प्राणी सांपों को आकर्षित करते हैं। हिमाचल में सांपों की 21 प्रजातियां पाई जाती हैं, इसमें से 60 फीसदी जहरीली होती हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक समूचे जिला में सर्पदंश को लेकर नाहन खंड सबसे अधिक संवेदनशील है। अकेले जुलाई माह में ही सर्पदंश की 7 घटनाएं हुई, इसमें से दो की मौत हो चुकी है। इसके अतिरिक्त अप्रैल, मई व जून में भी सर्पदंश की तीन घटनाएं हुई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के पास सर्पदंश की घटनाओं से निपटने के पुख्ता इंतजाम है, बशर्ते समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए।
सीएमओ डॉ. संजय शर्मा का कहना है कि कई मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। लिहाजा यह माना जा सकता है कि बरसात में सांप के काटने की घटनाएं काफी होती हैं। केवल सरकारी रिकॉर्ड में ही एक माह के भीतर नाहन व पांवटा क्षेत्रों में सांप के काटने के 20 से अधिक मामले आ चुके हैं।
सांप काटने पर क्या करें?
बताया गया कि अधिकतर मामलों में सांप के काटने पर दहशत से ही मौत हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन परिस्थितियों में संयम के साथ-साथ साहस बरतें क्योंकि इसका उपचार संभव होता है। सीएमओ का मानना है कि अमूमन यह देखा गया है कि सांप के काटने के बाद डर से ही मौत हो जाती है। इसमें अचानक ह्रदयगति रूक जाती है।
उनका यह भी कहना है कि सांप काटने के बाद फौरन ही मरीज को नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया जाना चाहिए, जहां पर डॉक्टर इस बात को तय करते हैं कि मरीज को एएसवी (एंटी स्नेक वैनम) दी जानी है या नहीं।