एमबीएम न्यूज/ शिमला
कालका-शिमला फोरलेन से सेब बागवानों को फायदा मिलेगा। साथ ही सामरिक दृष्टि से भी अहम होगा। तीन चरणों में निर्माणाधीन फोरलेन कैथलीघाट से ढली के बीच करीब साढे़ 12 किलोमीटर की दूरी घट जाएगी। दूरी घटने के दो कारण होंगे। केबल स्टेयड ब्रिज व टनल का निर्माण। ढली से सेब का कारोबार होता है। यहां तक फोरलेन पहुंच जाने से बागवानों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वो अपने उत्पाद को ढली की बजाय उत्तर भारत की बड़ी मंडियों में भी आसानी से ले जा सकेंगे।
कालका से चीन बॉर्डर तक पहुंचने के लिए भी दूरी घटेगी। मौजूदा में कैथलीघाट से ढली की दूरी 40 किलोमीटर है। फोरलेन के निर्माण के बाद यह दूरी साढे़ 27 किलोमीटर के करीब रह जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण फोरलेन के निर्माण के लिए बेहद अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। साढे़ 27 किलोमीटर के निर्माण पर लगभग 1480 करोड़ का खर्चा आने की उम्मीद है। तृतीय चरण के इस हिस्से को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित हुआ है। इस हिस्से के निर्माण से 25 गांवों को भी फायदा मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि किन्नौर व शिमला का सेब ढली तक पहुंचता है। तृतीय चरण के हिस्से में बनने वाले केबल स्टेयड ब्रिज की भी अपनी कई खूबियां होंगी। दो पहाड़ों को जोड़ेगा। बताया जा रहा है कि देश में सबसे बड़ा केबल स्टेयड ब्रिज होगा। अकेले इस पुल पर ही 400 करोड़ का खर्चा आने की उम्मीद है। इस कार्य के पूरा होने से शिमला शहर पर भी वाहनों के बोझ पर जबरदस्त कटौती आएगी, क्योंकि अपर शिमला के अलावा किन्नौर की तरफ जाने वाले वाहन इस हाईवे का ही इस्तेमाल करेंगे।
क्या हैं कैथलीघाट-ढली फोरलेन की खूबियां….
कम दूरी में सफर पूरा होगा। केबल स्टेयड ब्रिज आकर्षण का केंद्र बिन्दू बनेगा। सुरंग में लगभग 40 किलोमीटर की गति से वाहन दौडेंगे। हरेक 75 मीटर की दूरी पर सुरक्षा प्वाइंट होगा। सुरक्षा प्वाइंट पर आपातकालीन स्थिति में 15 से 20 लोग रुक सकेंगे। टनल के भीतर टेलीफोन सुविधा भी उपलब्ध होगी। टनल की लंबाई 716 मीटर होगी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस हिस्से का कार्य भी करीब डेढ़ महीने पहले शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं प्रोजैक्ट निदेशक…
निर्माणाधीन फोरलेन के प्रोजैक्ट निदेशक एसएम स्वामी का कहना है कि कैथलीघाट से ढली की दूरी साढे़ 12 किलोमीटर के आसपास घट जाएगी। इसकी वजह ब्रिज व टनल का निर्माण भी है। उनकाा कहना था कि न केवल सेब बागवानों को फायदा मिलेगा, बल्कि देश की राजधानी से चीन बार्डर की दूरी भी घटेगी।
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