वी कुमार/ मंडी
बीते 20 जून को एक नौसिखिए नाबालिग कार चालक की लापरवाही से दुर्घटना के घायल 11 मासूम बच्चे दरवाड़ पंचायत मुख्यालय से छात्र आज अतिरिक्त ज़िला सेशन जज सरकाघाट की अदालत में पहुंचे। कड़कती ठण्ड में बैसाखियों के सहारे अपने परिजनों के साथ बयान दर्ज करवाने उपमण्डल मुख्यालय पहुंचे मासूमो की हालत देखकर हर कोई हैरान था। अदालत में मासूमो के बयान दर्ज होने थे। घायल हुए छात्रों के परिजनों ने बताया कि जब दुर्घटना घटी थी तो उस समय प्रदेश सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं ने उनके दुर्घटना में घायल हुए बच्चों का मुफ्त इलाज कराने की बात की थी।
प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकूर ने भी मंडी अस्पताल में घायल छात्रों के सारे खर्च को सरकार द्वारा वहन करने का भरोसा दिया था। प्रति घायल छात्र के परिजनों को 5 हज़ार रुपये की राशि फौरी राहत के तौर पर दी थी। लेकिन उसके बाद जब से दुर्घटना घटी है, उनको अपने बच्चों का इलाज करवाने में लाखों रुपए खर्च करने पड़े हैं। उनके नौनिहालों की फिर किसी ने सुध भी नही ली। आज की तारीख में उनके बच्चे बैसाखियों की मदद से चलते हैं। जब वे उनको इस हालत में चलता हुआ देखते हैं तो प्रतिदिन आँसू बहाते है। उनके बच्चों का पढाई का एक वर्ष तो बर्बाद हो ही गया है, वे अभी तक भी स्कूल में जाने के काबिल नहीं हैं। यही नहीं ये छात्र जीवन भर सेना व अन्य सुरक्षा बलो में जाने के लिए मेडिकली अनफिट हो गए है। इनमे से कई बच्चो का सपना देश सेवा करना था। एकांत में जाकर ये बच्चे घर वालों से छुप-छूप कर रोते है।
इनकी बेबसी देखिए कि जब इनके हम उम्र बच्चे जब आउटडोर गेम खेलते है तो इनके पास बैठ कर उन्हें देखने के अलावा कोई चारा नहीं है। घर की आर्थिकी भी इनके इलाज के चलते गड़बड़ा गई है। इस कारण तमाम बच्चे भारी मानसिक अवसाद से गुजर रहे है। उन्हें इस बात का मलाल है कि पढ़ लिख कर जिन माँ बाप का वह सहारा बनना चाहते थे उन्ही पर उन्हें निर्भर होना पड़ा है। यहां तक की माँ बाप उन्हें शौचालय तक ले जाते है, नहलाते है और कपडे भी पहनाते है। उधर घायल हुए घायल हुए छात्रों के परिजनों ने प्रदेश सरकार से अपने बच्चों के उपचार के लिये हुए सारे खर्चे को अदा करने का अनुरोध किया है। परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर को भी याद करवाया है कि आश्वासन के बावजूद भी अभी तक सरकार ने उनके बच्चो के इलाज के लिए आर्थिक मदद का प्रबंध नहीं किया है।