जोेगिंद्रनगर (ओमप्रकाश चौहान) : जोगिंद्रनगर क्षेत्र के पूर्व सैनिकों ने अपनी मांगों को पूरा किए जाने के लिए बुधवार को यहां जनरल हाउस का आयोजन किया। उसमें अनेकों प्रस्ताव पारित करके जोगिंद्रनगर के उपमंडल अधिकारी नागरिक के माध्यम से देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री चीफ आफ आर्मी स्टाफ को एक ज्ञापन भी भिजवाया और मांगों को पूरा किए जाने का अनुरोध किया गया।
प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता दी पूर्व सैनिक लीग जोगिंद्रनगर के अध्यक्ष कै जेसी कटोच ने की जबकि कर्नल जीएस साही, रविंद्र पाल सिंह ठाकुर व बुधि सिंह ठाकुर सहित अन्य पदाधिकारी भी शामिल रहे। महामहिम राष्ट्रपति को भिजवाए गए इस ज्ञापन में कहा गया कि सेवानिवृति के बाद सूबेदार से लेकर ऑनरेरी कैप्टन तक पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। इन पदों पर रहे कर्मचारियों को लाभ से वंचित रखा गया है।
कहा गया है कि देश में 58 साल या उसके बाद ही रिटायरमेंट दी जाती है, लेकिन सेना में सिपाही 17, नायक 22, हवलदार 24, नायब सूबेदार 28 और सूबेदार मेजर 32 साल तक सेवा दे सकते हैं। इस तरह सिपाही से सूबेदार मेजर तक 35 से 50 वर्ष की आयु में सेवानिवृत हो जाते हैं। सेना के जवानों के लिए भी 58 साल की सेवा का लाभ दिए जाने की मांग की गई है।
अर्द्धसैनिक बल व पुलिस में इंस्पेक्टर क्लास थ्री अफसर होता है परंतु उसे ऊपर तक पद दिए जाते हैं और डीएसपी या एसपी भी बना दिया जाता है। दूसरी ओर, सेना का नायब सूबेदार से लेकर सूबेदार मेजर तक का पद क्लास टू अफसर होता है लेकिन उन्हे कैप्टन का पद नहीं दिया जाता। कहा गया कि सेना में आज भी अंग्रेजों के बनाए कानून का इस्तेमाल हो रहा है लिहाजा उन्हे भी बदले जाने की आवश्यकता है।
सवाल किया गया है कि सेना में नौकरी करने वालों को भारत रत्न क्यों नहीं दिया जाता। क्या सेना के जवान इस अवार्ड के काबिल नहीं। सैनिक के परिवार का कोई सदस्य बीमार भी हो जाए तो अवकाश के लाले पड़ जाते हैं। सेना की ट्रेनिंग या युद्ध के हालात हों तो अवकाश से तत्काल बुला लिया जाता है। छोटी सी गलती पर ही कोर्ट मार्शल कर दिया जाता है और मिलने वाले लाभ खत्म कर दिए जाते हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि दूसरे लोगों के हर रोज घोटाले सामने आते हैं मगर न तो उनकी संपत्ति और न ही उनके बैंक खाते कभी सील किए जाते हैं। उन्हे देशद्रोही भी घोषित नहीं किया जाता। दी पूर्व सैनिक लीग ने ऐसे लोगों के लिए भी उचित सजा का प्रावधान किए जाने की जोरदार मांग की है। कै. जेसी कटोच ने कहा कि हमारे देश में 1947, 1948, 1962, 1965, 1971 व 1999 में युद्ध लड़े गए।
सेना की टुकडि़यों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया परंतु बहादुरी सम्मान की बात आती है तो सिर्फ दो जवानों और अफसरों को दिया जाता है। अन्य सैनिकों को भी पदक दिए जाने की मांग की गई। क्रिकेट वाले हारें या जीतें इन सबको पैसा व सम्मान दिया जाता है लेकिन देश की रक्षा के लिए अपने जान हथेली पर रखकर लड़ने वाले पेंशन पाने के लिए भी प्राण त्याग देते हैं।