एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। इस वर्ष अब तक प्रदेश से एक करोड़ 42 लाख सेब की पेटियां देश की मंडियों में पहुंचाई जा चुकी हैं। कुल्लू और शिमला जिला में सेब सीजन लगभग समाप्त हो चुका है। जबकि किन्नौर जिले में सेब सीजन पूरे रफ्तार में चल रहा है। नवंबर के पहले सप्ताह तक किन्नौरी सेब की कुछ लाख पेटियों के मंडियों में पहंचने के बाद सेब सीजन खत्म हो जाएगा।
बागवानी विभाग के निदेशक एमएल धीमान के मुताबिक अब तक 1.42 करोड़ पेटियां देश की विभिन्न मंडियों में भेजी गई हैं और कुछ लाख पेटियों का उत्पादन अभी शेष है। उन्होंने कहा कि इस साल बागवानी विभाग ने 1.92 करोड़ पेटियों के उत्पादन का अनुमान लगाया था, लेकिन उत्पादन 1.50 करोड़ पेटियों तक सिमट जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतिम चरण में अब किन्नौर का ही सेब मंडियों में पहुंच रहा है।
चौंकाने वाली बात है कि इस बार सेब उत्पादन सात साल बाद सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंचा है। साल 2011 में प्रदेश में 1.35 करोड़ पेटियों का उत्पादन हुआ था। जबकि साल 2010 में रिकार्ड 4.47 करोड़ पेटी सेब की पैदावार हुई। वर्ष 2012 में 2.07 करोड़ पेटी, वर्ष 2013 में 3.70 करोड़ पेटी, वर्ष 2014 में 3.12 करोड़, वर्ष 2015 में 3.89 करोड़ व 2016 में 2.35 करोड़ और पिछले साल 2.05 करोड़ पेटी सेब पैदा हुआ था। किन्नौर के रसीले सेब की बात करें, तो वहां औसतन 25 से 35 लाख पेटी का उत्पादन होता है। साल 2017 में यहां 25 लाख 99 हजार 190 पेटियां देश की विभिन्न मंडियों में पहुंचीं, लेकिन इस बार यहां सेब उत्पादन में 50 फीसदी की गिरावट आई है।
राज्य में सेब का सालाना करीब 3000 करोड़ का कारोबार होता है। एक अनुमान के मुताबिक चार लाख बागवान सेब की पैदावार करते हैं। इस बार मौसम शुरू से ही अनुकूल नहीं रहा। असमय बारिश व ओलावृष्टि से सेब उत्पादन तो पहले ही कम रहने के आसार थे, लेकिन उत्पादन का आंकड़ा इस कदर गिरेगा, इसका किसी को अंदेशा नहीं था। कम उत्पादन के बावजूद बागवानों को बेहतर दाम मिलने के आसार थे, लेकिन विदेशी सेब के बाजार में आने के कारण हिमाचल सेब के अच्छे दाम बागवानों को नहीं मिल पाए।
विपणन के समय बागवानों को आरंभ में तो अच्छे दाम मिले। दो-दो हजार रुपये में भी सेब की पेटियां बिकीं, बाद में तो बाजार में जैसे मंदी का दौर शुरू हो गया। अच्छा सेब भी 1500-1700 रुपये पेटी के हिसाब से बिका।
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