वी कुमार/मंडी
सीएम जयराम ठाकुर सोमवार को जब बगस्याड़ स्कूल पहुंचे तो पुराने दिनों की याद आ गई। याद आ गया, वो जमाना जब स्कूल टाईम में क्रांतिकारी बनना उनके लिए कितना भारी हो गया था। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि स्कूल टाइम की बहुत सी बातें उन्हें याद हैं। लेकिन एक घटनाक्रम है, जो शायद वह जिंदगी में कभी नहीं भूला सकते और उनके सहपाठी भी कभी नहीं भूला सकते। वर्ष 1981 में दसवीं कक्षा की घटना का जिक्र करते हुए जयराम ठाकुर ने बताया कि कक्षा में कोई अध्यापक नहीं था और बच्चे शोर कर रहे थे। शोर सुनकर उस वक्त के हेडमास्टर बिहारी लाल क्लास में आ गए। सभी को दो-दो डंडे मारकर सजा दी।
जयराम ठाकुर को लगा कि उन्हें बेवजह सजा दी गई है। इसलिए उन्होंने अन्य सहपाठियों के साथ मिलकर हड़ताल करने की सोची। जैसे ही हाफ टाइम हुआ तो पूरी क्लास के स्टूडेंट बैग उठाकर घर चले गए। बाद में परिवार ने समझाया कि तुमने गलती की है, तो फिर गलती का अहसास हुआ। फिर हैडमास्टर के पास माफी मांगने पहुंचे। तो उन्होंने माफ करने से इनकार कर दिया। काफी मान मनोबल के बाद हैडमास्टर ने ग्राउंड में सभी अध्यापकों को बुलाकर स्टूडेंट्स को एक तरफ खड़ा कर दिया और एक-एक अध्यापक के पास जाकर नाक रगड़ कर माफी मांगने को कहा। सभी स्टूडेंट्स ने ऐसा करके माफी मांगी, तब जाकर उन्हें माफ किया गया। जयराम ठाकुर ने बताया कि वो स्कूल टाइम में कई बार मुर्गा भी बने और अध्यापकों से मार भी खाई। लेकिन कभी अध्यापकों का निरादर नहीं किया और हमेशा उनकी बात मानी। जयराम ठाकुर ने उन कठिन दिनों का जिक्र भी किया। जब वह पैदल स्कूल आते-जाते थे और गरीबी में स्कूल टाइम गुजारा था।
इस दौरान सीएम ने बगस्याड़ स्कूल के बच्चों के सवालों के जबाव भी दिए। एक बच्ची ने पूछ लिया कि आज जिस मुकाम पर वह पहुंचे हैं तो इसका श्रेय किसे देना चाहेंगे। इस सवाल का जबाव देते हुए सीएम भावुक हो गए और उनका गला भर आया। सीएम ने कहा कि यह श्रेय वह सराज की जनता को देना चाहेंगे जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। उन्होंने कहा कि सराज की जनता के अहसान को वह जिंदगी में कभी नहीं भूला सकता।