एमबीएम न्यूज़/शिमला
निजी बस संचालकों के दवाब में बस किराए में 20 से 24 फीसदी की बढ़ोतरी के सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। शिमला नागरिक सभा ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। सभा ने दो टूक कहा है कि अगर सरकार ने किराया वृद्धि को तुरन्त वापिस नहीं लियाए तो सभा सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी।
नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने आज कहा कि उक्त किराया वृद्धि के खिलाफ जनता को लामबंद करते हुए नागरिक सभा सड़कों पर उतरेगी क्योंकि यह किराया वृद्धि न केवल अव्यवहारिक है अपितु इस से जनता पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह किराया वृद्धि उत्तराखंड को आधार बनाकर की गई है जबकि हकीकत यह है कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति हिमाचल से खराब है। उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों में बुरी भौगोलिक स्थिति के कारण केवल 28 से 32 सीटर बसें चलती हैं जबकि हिमाचल के दुर्गम इलाकों में भी 42 से 52 सीटर बसें चलती हैं। इसके बावजूद उत्तराखंड में न्यूनतम किराया 5 रुपये है व लॉन्ग रुट के लिए प्रति किलोमीटर एक रुपये छप्पन पैसे है।
विजेंद्र मेहरा ने आगे कहा कि हिमाचल में गाड़ियों की ज्यादा एवरेज के बावजूद न्यूनतम किराया छः रुपये व लॉन्ग रुट के लिए एक रुपये पचहत्तर पैसे है जोकि उत्तराखंड व अन्य पहाड़ी इलाकों की तुलना में ज़्यादा है। इस से साफ नजर आ रहा है कि प्रदेश सरकार जनता विरोधी है।
उन्होंने कहा है कि इस किराया वृद्धि से एचआरटीसी को फायदे के बजाए भारी नुक्सान होने जा रहा है क्योंकि अमूमन प्राइवेट बस संचालक सवारियों से एचआरटीसी के मुकाबले कम किराया वसूलते हैं व अपने बिज़नेस को बढ़ाते हैं। इस निर्णय के लागू होने से एचआरटीसी को प्रतिदिन होने वाली ढाई करोड़ रुपये की आय भी गिर जाएगी। इसलिए प्रदेश सरकार व एचआरटीसी को बस किराया बढ़ोतरी के प्रस्ताव के मध्यनजर ग्रीन कार्ड की तर्ज़ पर सभी नागरिकों को किराए में पच्चीस प्रतिशत छूट देनी चाहिए ताकि प्राइवेट बसों का मुकाबला किया जा सके व जनता को सस्ता सफर भी उपलब्ध हो।
उन्होंने कहा है कि बस किराया बढ़ोतरी इतनी ज्यादा है कि लोगों की कम क्रयशक्ति के कारण अंततः न्यूनतम सफर के लिए लोगों के पास पैदल यात्रा के सिवाए कोई विकल्प नहीं बचेगा जिस से पहले से ही कमज़ोर एचआरटीसी और ज़्यादा कमज़ोर हो जाएगी व उसकी प्रतिदिन की आय भी गिर जाएगी। किराया वृद्धि का सबसे ज़्यादा नुकसान एचआरटीसी को ही भुगतना पड़ेगा क्योंकि दूरदराज के इलाकों में एचआरटीसी ही अपनी सेवाएं देती है व प्राइवेट रुट वहीं है जहां पर मुनाफा है।
उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की ऐसी ही गलत नीतियों के कारण पहले ही एचआरटीसी कमज़ोर हो गई है व उसकी गाड़ियों की संख्या महज़ 3200 रह गई है व प्राइवेट बसों की संख्या 4000 हो गई है। इस भारी किराया वृद्धि से सरकारी परिवहन क्षेत्र और कमज़ोर होगा व प्राइवेट बस संचालकों के दबदबा बढ़ेगा।
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