वी कुमार/मंडी
बीती 17 अगस्त 2018 को जब देश में जैविक ईंधन का इस्तेमाल करके पहली बार हवाई जहाज उड़ाया गया तो यह खबर पूरे देश में सुर्खियों में आ गई। जैविक ईंधन की जो बातें कई दशकों से हो रही थी। वह धरातल पर नजर आई तो मंडी जिले के 78 वर्षीय धर्मपुर निवासी सेवानिवृत वन अरण्यपाल ओमा नंद हाजरी की आंखों में चमक, चेहरे पर मुस्कान व अनूठी दमक पैदा हो गई। पहले आपको जैविक ईंधन और इसे बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताते हैं, फिर ओमा नंद हाजरी के प्रयासों के बारे में बताएंगे। ’’जैट्रोफा’’ नाम का एक पौधा होता है। इसे जफलोटा के नाम से भी जाना जाता है और अलग-अलग स्थानों पर इसके अलग-अगल नाम हैं। इस पौधे पर जो फल लगता है उसका इस्तेमाल न तो इंसान करता है और न ही जानवर। लेकिन इसका जो बीज होता है वो काफी गुणकारी है। बीज को दवाईयों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है और ईंधन के लिए भी।
कुछ देशों में इसके बीज से बने ईंधन का काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन देश में यह नाममात्र का भी नहीं है। मेरठ में इसके बीज से ईंधन बनाने का काफी बड़ा उद्योग लगा है, लेकिन अभी इसे व्यापक रूप नहीं मिल पाया है। बीती 17 अगस्त 2018 जैट्रोफा के बीज से बने ईंधन से देहरादून से दिल्ली तक हवाई जहाज को उड़ाया गया। इसके बाद यह पौधा और इससे बना जैविक ईंधन सुर्खियों में आया है। अपुष्ट जानकारी बताती है कि इसके तीन किलो बीज से एक लीटर ईंधन बनाया जाता है। जिसकी लागत 40 रूपए से भी कम आती है। खास बात यह है, कि इस ईंधन से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, तभी तो इसे जैविक ईंधन का नाम दिया गया है।
अब आपको ओमा नंद हाजरी और उनके प्रयासों के बारे में बताते हैं। ओमा नंद हाजरी मंडी जिला के धर्मपुर क्षेत्र से संबंध रखते हैं। हाजरी वर्ष 1999 में वन विभाग से बतौर अरण्यपाल रिटायर हुए। वन विभाग से नाता था जो जाहिर सी बात है पेड़-पौधों से लगाव भी रहा होगा और इनकी अधिकतर जानकारी भी होगी। वर्ष 2002 में हाजरी ने एक दिन अखबार में तीन पंक्तियों की खबर पढ़ी कि अमेरिका में 10 सालों से 40 प्रतिशत गाडिय़ां जैट्रोफा के तेल से चल रही हैं। उन्होंने इसे लेकर जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह पौधा हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कई भागों में बेतहाशा होता है और इसकी खेती भी की जा सकती है। जिले के सरकाघाट व धर्मपुर क्षेत्र में तो अत्याधिक मात्रा में होता है। जिसे जफलोटा समेत कई अन्य नामों से जगह-जगह जाना जाता हैै। ओमानंद हाजरी ने शोध किया व इसे लेकर दुनिया भर से सूचनाएं एकत्रित करके एक पुस्तक ’’जैट्रोफा एक अलोकिक पौधा’’ लिखी। ओमानंद हाजरी के उस वक्त किए गए इन दावों पर प्रदेश विधानसभा में भी 2004-05 में लंबी चर्चा व बहस हुई थी।
विधायक महेंद्र सिंह ठाकुर व रमेश ध्वाला आदि ने विधानसभा में इसे लेकर लंबे वक्तव्य दिए थे। उस समय के वन मंत्री ठाकुर राम लाल ने इस पर काम करने का एलान किया था। अपने चुनाव क्षेत्र के कलोल में जैट्रोफा के 5 लाख पौधे रोपित करवाए थे। बाद में सरकार ने बजट न होने की बात कहकर इस परियोजना से पल्ला झाड़ लिया था। ओमा नंद हाजरी ने केंद्र से लेकर प्रदेश तक सटीक तथ्यों के साथ यह दावा किया था कि जैट्रोफा की खेती से गांव-गांव में स्वरोजगार के साधन खुलेंगे, आवारा पशुओं व बंदरों से आतंकित किसान जैट्रोफा की खेती करेंगे क्योंकि इसके फलों और पत्तों को बंदर व जानवर नहीं खाते हैं। प्रदेश के एक बड़े हिस्से जो शिवालिक क्षेत्र के आसपास है में यह खेती होगी तो ऐसा लगेगा जैसे हर खेत में तेल पैदा हो रहा है। हाजिरी ने इस अभियान को एक जुनून की तरह लिया और इस पर अपने ही बलबूते पर किताब लिख बांटी। यही नहीं उन्होंने अप्रैल 2005 को अपने धर्मपुर क्षेत्र में 40 प्रतिशत मिट्टी, 40 प्रतिशत रेत व 20 प्रतिशत जैविक खाद मिला कर स्वयं जैट्रोफा के 5 हजार पौधे रोपे।
हर तीसरे दिन इनको पानी दिया और अगस्त 2005 में ये पौधे तैयार हो गए। उन्होंने तेल बनाने के लिए जरूरी मशीनरी का भी पूरा डॉटा तैयार कर लिया था मगर सरकार की ओर से पूरा सहयोग व प्रोत्साहन न मिलने से यह परियोजना मूर्त रूप नहीं ले पाई। ओमा नंद हाजरी बताते हैं कि उन्हें इस बात की खुशी है कि 12 साल के बाद आखिर जैट्रोफा से बने तेल से जहाज ने 330 किलोग्राम वजन के अलावा 28 सवारियों ने भी दिल्ली तक का सफर किया। हाजरी ने इस काम को धरातल पर लाने के लिए कुशल इंजीनियरों व कारीगरों को बधाई दी। उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है, कि वह इस बारे में बड़ी परियोजना बनाए तो तेल को लेकर प्रदेश न केवल आत्मनिर्भर हो जाएगा बल्कि यह दूसरे तेल के मुकाबले में अत्याधिक कम लागत पर बन सकता है।
इससे प्रदूषण भी नहीं होता। उन्हें उम्मीद है कि एक जहाज जो देहरादून से दिल्ली तक जैट्रोफा तेल से चला गया वैसे ही हिमाचल में भी यदि सरकार ध्यान दे तो यहां की गाडिय़ां, बसें, रेल व अन्य वाहन जैट्रोफा से बने जैविक तेल से दौड़ेंगी।
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