अमरप्रीत सिंह/सोलन
देवभूमि की नदियां अपने स्वच्छ जलधारा के लिए पहचान रखती हैं, लेकिन बेहद दर्दनाक बात यह है कि अब यह नदियां उच्च स्तर पर प्रदूषित हो रही हैं। इसमें भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि औद्योगिकरण की कीमत नदियों के प्रदूषण से चुकानी पड़ रही है।
चंद बरस पहले तक बाल्द नदी में साफ जलधारा बहती थी। लेकिन अब फार्मा उद्योगों ने इसका स्वरूप ही बदल डाला है। शुक्रवार को हर कोई उस वक्त चकित रह गया, जब नदी का एक हिस्सा झाग के समुद्र की तरह नजर आ रहा था। यहां तक की हवा की वजह से झाग कई फुट ऊंचे उछल रही थी। हैरानी इस बात की है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आंखें मूंदकर बैठा हुआ था।
पता चला कि यह हालात उद्योगों से कैमिकलयुक्त पानी छोडऩे की वजह से पैदा हुए हैं। यह बात भी तय है कि नदियां अपना अस्तित्व खोते जा रही है। जानकारों का कहना है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो नदियां अपना अस्तित्व खो देंगी।
बाल्द नदी में फैली झाग
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