जोगिंद्रनगर (ओमप्रकाश चौहान) : जोगिंद्रनगर के कुछ दुकानदार अपने ही स्वामित्व वाली भूमि को पाने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, मगर राजस्व विभाग उन्हें उनकी मलकियत जमीन नहीं दिखा रहा और व्यर्थ की बहानेबाजी करके दुकानदारों को परेशान किया जा रहा है। ऐसा उन्हें अवैध कब्जों में उलझाकर किया गया है, जबकि अनेकों दुकानदारों की मलकियत जमीन न देकर उनके सामने आजीविका का भी संकट खड़ा कर दिया गया है।
जोगिंद्रनगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर बनी दुकानें जिनके मालिक अपनी मलकियत जमीन के लिए भटक रहे हैं।जोगिंद्रनगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर बस स्टैंड से रेलवे चौक तक करीब 20 दुकानें ऐसी हैं जिनका निर्माण दुकानदारों ने कई साल पहले कर रखा है। इसके लिए उन्होने जमीन खरीदी है। सडक़ के किनारे लोक निर्माण विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा किए जाने के मामले लोक निर्माण विभाग ने बनाए जिन्हे दुकानदार कानून का सम्मान करते हुए लड़ भी रहे हैं जबकि कुछ के फैसले भी हो गए हैं। इनमें से कुछ अवैध कब्जे हटा भी दिए हैं।
लगभग सभी दुकानदारों द्वारा राजस्व विभाग से बार-बार गुहार लगाई जा रही है कि उनकी मलकियत जमीन उन्हें बताई जाए ताकि अवैध कब्जा हटाने के बाद वह वहां पर अपनी आजीविका कमा सकें। अवैध कब्जों की आड़ में राजस्व विभाग लोगों की मलकियत जमीन पर भी कुंडली मारकर बैठ गया है, जिससे दुकानदारों में हायतौबा मची हुई है।
इस बाबत दुकानदारों ने आला अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री के दरबार तक गुहार लगाई मगर दुकानदारों को उनकी मलकियत जमीन नहीं दी जा रही हालांकि उन्होंने राजस्व विभाग के माध्यम से ही अपनी जमीन का पंजीकरण करवाया है और उनके इंतकाल भी राजस्व विभाग के पास दर्ज है। दुकानदारों ने सरकार से मांग की है कि उनकी मलकियत जमीन उन्हें दिलाई जाए, ताकि उन पर भूखों मरने का संकट खड़ा न हो। अपनी जमीन लेना भू-स्वामियों का अधिकार भी है।