नितेश सैनी/सुंदरनगर
नगर परिषद के वार्ड नंबर तीन के ठाठर में फोरलेन की जद में आने से दो भाईयों का रिहायशी मकान भेंट चढ़ गया है। गनीमत यह रही कि फोरलेन की भेंट चढ़े रिहायशी मकान खेमा राम व शेर सिंह में से शेर सिंह के मकान का हिस्सा रह गया। लेकिन खेमा राम के नाम का हिस्सा चला गया। जिससे आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त हुए खेमा राम के मकान से शेर सिंह के मकान का हिस्सा वर्तमान में जर्जर होकर रहा गया है।
अपनी व्यथा सुनाते हुए शेर सिंह ने बताया कि मेरा और मेरे भाई का ज्वाइंट मकान है। लेकिन भाई के मकान का मुआवजा कंपनी ने दे दिया और मेरे मकान का मुआवजा नहीं दिया गया है। शेर सिंह का कहना है कि कंपनी द्वारा दोनों मकानों पर अलग-अलग नंबर अंकित किए गए है और दोनों की अलग-अलग पैमाइश हुई है। लेकिन एक मकान का 8 लाख मुआवजा बनाया गया और दूसरे का कुछ नहीं। कंपनी द्वारा मकान का मौके पर एस्टिमेट बनाया गया है।
शेर सिंह का कहना है कि स्वयं उन्होंने मकान के मुआवजे के लिए डीसी मंडी, कंपनी के इंजीनियर और भूमि अधिग्रहण अधिकारी बिलासपुर को भी पत्र दिया। लेकिन आज तक किसी ने कोई भी सुनवाई नहीं की। स्थानीय पटवारियों का कहना हैं कि शेर सिंह का मकान फोरलेन की जद में नहीं गया है। लेकिन सयुंक्त मकान में से एक भाई के मकान पूरी तरफ से जद में आया है और दूसरा मकान के मुआवजे के लिए इधर-उधर भटक रहा है।
वहीं शेर सिंह का कहना है कि मकान के टूटने की वजह से घर का सारा सामान घर के बाहर बिखरा पड़ा है और रहने के लिए भीं कोई स्थान नहीं बचा है। अगर टूटे हुए मकान में रहूं तो मकान कभी भी गिर सकता है। जिस की वजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता है और जान तक जा सकती है। करीब एक महीने से सामान घर के बाहर पड़ा हुआ है। परिवार बारिश में रहने को मजबूर है।
दूसरी ओर लड़के संजीव कुमार का कहना हैं कि मकान का एस्टिमेट बना हुआ है और नंबर पड़े हुए है। लेकिन अब टुटा हुआ मकान बारिश की वजह से और गिर रहा है। मकान का न मुआवजा मिला और न फोरलेन कंपनी के साथ प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान है। उधर एसडीएम सुंदरनगर का कहना है कि मामले की गहनता से जांच की जाएगी। फोरलेन कंपनी से प्रभावितों को हर संभवत मदद दिलाई जाएगी।
पीड़ित शेर सिंह ने बताया की मेरे और मेरे भाई का मकान फोरेलन निर्माण के कारण चपेट में आया है लेकिन ये मकान जॉइंट मकान है और एक को मकान का मुआवजा मिल चूका है और मुझे नहीं मिला। शेर सिंह ने कहा की दोनों मकानों पर अलग अलग नंबर अकित हुए है और दोनों की अलग अलग पैमाइश की गई है। आधे मकान को फोरलेन कंपनियो द्वारा तोड़ दिया गया है और आधा बचा हुआ मकान अपने आप टूट रहा है। मकान के मुआवजे के लिए फोरलेन कंपनियो के कार्यलय और प्रशासन के पास कई बार गुहार लगाई लेकिन कोई मुआवजा नहीं मिला।
पीड़ित शेर सिंह का कहना है की मकान बारिश की वजह से टूट रहा है और घर का पूरा सामान बाहर निकाल दिया है। ऊपर से बारिश पड़ रही है। जिस की वजह से अब न सामना रखने के लिए कोई ठिकाना है, न ही खुद रहने के लिए कोई आशियाना। पीड़ित शेर सिंह के बेटे संजीव कुमार ने बताया की मकान फोरलेन की जद में आया है।
मकान पर नंबर भी अलग-अलग अंकित है। एस्टिमेट भी बनाया गया है। आधे मकान का मुआवजा मिल गया और आधे का अभी तक नहीं मिल पाया। बारिश की वजह से मकान की दीवार गिर चुकी है। मुआवजे के लिए डीसी, एसडीएम और फोरलेन कंपनियो के अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा।