वी कुमार/मंडी
जब कभी लारजी डैम से पानी छोड़ने का जिक्र होता है तो 8 जून 2014 को हुआ वो दर्दनाक हादसा याद आ जाता है, जिसने वीएनआर इंस्टीच्यूट हैदराबाद के 24 स्टूडेंटस सहित एक अन्य को मौत की नींद सुला दिया था। इस हृदय विदारक घटना की तस्वीरें आज भी रौंगटे खड़ी कर देती हैं। एजुकेशनल टुअर के नाम पर मनाली ले जाए जा रहे वीएनआर इंस्टीच्यूट हैदराबाद के बच्चे थलौट के पास ब्यास नदी में तस्वीरें खिंचवाने गए हुए थे। उसी दौरान लारजी डैम से बिना किसी पूर्व सूचना के पानी छोड़ दिया गया। ब्यास नदी के बीच पत्थरों पर बेफिक्र होकर फोटो खिंचवा रहे स्टूडेंटस देखते ही देखते पानी के तेज बहाव में बह गए।
जान जोखिम में डालते लोग व नदी किनारे लगाया गया सूचना बोर्ड
इस हादसे में मारे गए स्टूडेंटस के परिजन शायद ही कभी अपनों को खोने का गम भूला पाएं। परिजन आज भी इस स्थान पर आकर रो-रोकर अपने बच्चों को याद करते हैं। परिजन सीधे तौर पर इसके लिए वीएनआर इंस्टीच्यूटए लारजी डैम प्रबंधन और प्रशासन को दोषी मानते हैं। हैदराबाद निवासी रॉबिन बोस और ए राधाकृष्णन कहते हैं कि अगर बिना पूर्व सूचना के पानी नहीं छोड़ा जाता तो शायद आज उनके बच्चे जीवित होते।
इस हादसे के बाद लारजी डैम प्रबंधन से लेकर शासन और प्रशासन जागा। जगह-जगह चेतावनी वाले बड़े-बड़े बोर्ड लगाए गए। अब पानी छोड़ने से पहले इसकी सूचना दी जाती है। सायरन बजाए जाते हैं और मोबाईल व्हीकल को नदी किनारे वाले नेशनल हाईवे पर दौड़ाया जाता है। लेकिन अभी भी पर्यटक इससे सबक नहीं ले पाए हैं। आज भी पर्यटक उफनती नदी के साथ अटखेलियां करते देखे जाते हैं।
एडीएम मंडी राजीव कुमार ने बताया कि पर्यटक नदी किनारे न जाएं इस बात को लेकर प्रशासन पूरा प्रयास करता है और इसलिए जगह-जगह बोर्ड भी लगाए गए हैं। वहीं डैम प्रबंधन को पानी छोड़ने से पहले आवश्यक सूचना देने का निर्देश भी दिया गया है। साथ ही प्रशासन ने पर्यटकों से अनुरोध किया है कि वे नदी किनारे न जाएं ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके।
अब बरसात का मौसम शुरू हो चुका है और ऐसे में बाहर से आने वाले पर्यटकों को ज्यादा एहतिआत बरतने की जरूरत होगी। क्योंकि जलस्तर बढ़ने पर बांधों से पानी छोड़ना अनिवार्य होता है और ऐसे में बरती गई सावधानी ही आपको किसी बड़े खतरे से बचा सकती है।