एमबीएम न्यूज़ / शिमला
हिमाचल प्रदेश में नौकरशाही द्वारा नया विकलांगता कानून लागू न किए जाने से कई लाख विकलांगजन अपने अधिकारों से वंचित हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को लिखे एक पत्र में उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा है कि राज्य में विकलांगजन अधिकार कानून, 2016 के नियम गत वर्ष 19 अक्टूबर से पहले बन जाने चाहिए थे। लेकिन ऐसा न होने से यह महत्वपूर्ण कानून लागू ही नहीं हो पाया है।
प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा कि संसद द्वारा नया विकलांगता कानून पास किए जाने के बाद राष्ट्रपति ने उसे 27 दिसंबर, 2016 को मंजूरी दे दी थी। 19 अप्रैल 2017 को उसकी अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई थी। कानून में साफ कहा गया है कि राज्य सरकार अधिसूचना की तारीख से छह महीने के भीतर इसके नियम बनालें। हिमाचल ने नियम नहीं बनाए।
उन्होंने कहा कि वे पिछले एक वर्ष से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से समय पर नियम बनाने के लिए कह रहे हैं। नियमों के अभाव में कानूनी प्रावधान धूल चाट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ राजीव सैजल को अंधेरे में रखा जा रहा है। प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा कि नया विकलांगता कानून पहले से बेहतर है। इसमें सात की जगह 21 विकलांगताओं को मान्यता दी गई है।
उन्हें आरक्षण, छात्रवृत्ति एवं पेंशन के लाभ भी मिलेंगे। नई विकलांगताओं में थैलेसीमिया, ऑटिज़्म, वाणी दोष, हीमोफीलिया, मनोरोग, सेरेब्रल पाल्सी, डेफ. ब्लाइंड, उपचारित कुष्ठ रोगी, बौनापन, बौद्धिक विकलांगता, पार्किन्सन, लर्निंग डिसेबिलिटी, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी शामिल हैं। लेकिन नियम न बनने के कारण इन विकलांगता वाले लोगों के विकलांगता प्रमाण पत्र ही नही बनाए जा रहे हैं। इससे वे हर प्रकार के लाभ से वंचित हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में तुरंत जरूरी कदम उठाने की मांग की।
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