वी कुमार/मंडी
क्या आपने पुलिस का ऐसा सहायता कक्ष देखा है जहां कोई भी पुलिस कर्मी मौजूद न होता हो। अगर नहीं तो आज देख लीजिए। यह सहायता कक्ष है अंतर्राज्जीय बस स्टैंड मंडी में। यहां बनाए गए पुलिस सहायता कक्ष में पुलिस की सहायता नहीं मिलती और न ही पुलिस कर्मी यहां गश्त पर नजर आते हैं। नतीजतन आए दिन चोरियों की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। एक ऐसा स्थान जहां पर प्रदेश के चारों दिशाओं के यात्री आते हैं।
मध्य स्थान होने के कारण यहां से प्रदेश के सभी कोनों के लिए बसें आसानी से मिलती हैं। यही कारण है कि यहां दिन हो या रात भीड़ एक जैसी ही रहती है। रोजाना हजारों की संख्या में यात्री इस बस स्टैंड पर रूकते हैं। अपने गंतव्य के लिए बस का इंतजार करते हैं। इस बस स्टैंड पर यात्रियों की भीड़ को देखते हुए वर्ष 2013 में एक पुलिस सहायता कक्ष खोला गया।
2015 तक यहां चार पुलिस कर्मी तैनात रहते थे। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या घटाकर दो कर दी गई। अब यह दो पुलिस कर्मी भी बस स्टैंड पर ढूंढ़ने से भी नहीं मिलते हैं। बस स्टैंड के अंदर पुलिस की मौजूदगी न के बराबर रह गई है। यही कारण है कि यहां पर आए दिन चोरियों की वारदातें हो रही हैं। लोगों को अपना कीमती सामान खोना पड़ रहा है।
अभी हाल ही में हमीरपुर निवासी आशीष शर्मा का लैपटोप और बैग इस बस स्टैंड से चोरी हुआ जो ताजा उदाहरण है। और तो और एचआरटीसी की गाडि़यां भी सुरक्षित नहीं हैं। चालक परिचालक संगठन मंडी मंडल के अध्यक्ष जोगिंद्र गुलेरिया ने बताया कि बस स्टैंड पर खड़ी बसों से टायर तक चोरी हो रहे हैं। अन्य कीमती सामान पर से भी चोर हाथ साफ कर रहे हैं।
इन्होंने यहां पुलिस कर्मियों की संख्या और गश्त बढ़ाने की मांग उठाई है। वहीं जब हमने इस बारे में डीएसपी हैडक्वार्टर हितेश लखनपाल से बात की तो उन्होंने बताया कि पुलिस सहायता कक्ष में दो कर्मियों को तैनात किया गया है। एक दिन के समय डयूटी देता है और एक रात को। साथ ही उन्होंने दिन को बस स्टैंड के बाहर ट्रेफिक कर्मी सहित अन्य पुलिस कर्मियों की मौजूदगी का हवाला भी दिया।
बता दें कि शहर का पुलिस थाना बस स्टैंड से मात्र 300 मीटर की दूरी पर है। शायद यही कारण है कि बस स्टैंड के इस पुलिस सहायता कक्ष को हल्के में लिया जा रहा है। जबकि यहां चोरी की वारदातें आए दिन बढ़ती जा रही हैं। जोकि इस बात को बताने के लिए काफी हैं कि पुलिस की मौजूदगी बस स्टैंड पर न के बराबर रह गई है।