वी कुमार/मंडी
एक बकरी, जिसे जो भी देखता है उसके मुहं से एक ही बात निकलती है। अरे बाप रे! ये बकरी तो शीशे खाती है। शीशे खाने वाली यह अदभुत बकरी मंडी जिला के सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत कपाही के रोपड़ी गांव में है। 72 वर्षीय प्रेमी देवी पांच वर्ष पहले इस बकरी को किसी से खरीद कर लाई थी।
एक दिन प्रेमी देवी ने देखा कि बकरी कांच के टुकड़ों को खा रही थी। प्रेमी देवी को यह देखकर हैरानी हुई और उसने बकरी को रोकने की कोशिश की, लेकिन बकरी नहीं मानी। इसके बाद प्रेमी देवी के लिए यह रोजाना की बात हो गई। प्रेमी देवी और उसके परिजनों के अनुसार उनकी यह बकरी घास कम और शीशे के टुकड़े अधिक खाती है। मेमनों को जन्म भी देती है और खुद भी पूरी तरह से हृष्ट-पुष्ट है।
प्रेमी देवी ने बताया कि 72 वर्ष की उम्र तक उन्होंने कई पशु देखे लेकिन यह पहला मामला है जब कोई बकरी चबा-चबा कर कांच के टुकड़ों को खाती है। इस बकरी के चर्चे दूर-दूर तक हो चुके हैं और जो भी इसे देखने के लिए आता है वो इस करामात को देखकर दंग रह जाता है।
वहीं हमने इस बारे में पशु विशेषज्ञों से भी बात की और यह जानने का प्रयास किया कि क्या ऐसे मामले उनके पास आते रहते हैं। पशु चिकित्सालय सुंदरनगर में तैनात पशु चिकित्सक डा. रमेश ने बताया कि 35 वर्षों की नौकरी के दौरान उन्होंने ऐसा मामला कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि बकरी खा रहे कांच को अपने पेट में रख रही है या फिर शौच के जरिए बाहर निकाल रही है। उन्होंने कहा कि कांच खाना बकरी के लिए हानिकारक है और इससे उसके गले में जख्म हो सकते हैं। उन्होंने बकरी की मालकिन से बकरी को कांच या शीशे के टुकड़ों से दूर रहने की सलाह दी है।
बकरी खा रहे कांच का क्या कर रही है यह सच में जांच का विषय है। क्योंकि कांच को खाना और उसे पचाना किसी भी पशु के लिए संभव नहीं है। यह अपने आप में एक अनोखा मामला है, जो पशु चिकित्सकों के लिए खोज का विषय बन सकता है।