एमबीएम न्यूज / शिमला
कानून व्यवस्था पर विपक्ष के निशाने पर जयराम सरकार ने कसौली गोलीकांड में साख बचाने के लिए आईपीएस अधिकारी मोहित चावला सहित 14 अधिकारियों व कर्मचारियों पर सस्पेंशन की गाज गिराई है। इसके पीछे डिवीजनल कमीश्नर की जांच रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपनी डयूटी का निर्वहन लापरवाही से किया है।
आईपीएस अधिकारी के अलावा सरकार ने परवाणु के पूर्व डीएसपी रमेश शर्मा, कसौली के नायब तहसीलदार जगपाल सिंह धर्मपुर के एसएचओ मदन सिंह, कसौली के एसएचओ दलीप सिंह को सस्पेंड किया है। इसके अलावा हैड कांस्टेबल नागेंद्र, एचएचसी हेमराज, कांस्टेबल संजीव, कांस्टेबल सुनील, एलसी चंपा, एलसी ऊषा, एलसी शारदा, कांस्टेबल ईश्वर व कांस्टेबल नरेंद्र को भी लापरवाही का दोषी पाया गया है।
इस बाबत देर शाम सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं। जानकारी यह भी है कि कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम ने राज्य की कानून व्यवस्था पर पुलिस महानिदेशक को लताड़ भी लगाई। बहरहाल सवाल इस बात पर उठ रहा है कि क्या यह कदम सरकार ने अपनी साख बचाने के मकसद से उठाया है। सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिलने के बाद सरकार ने अधिकारियों पर गाज गिरा दी है।
इस सवाल का जवाब सरकार अब तक भी नहीं दे पाई है कि क्या कसौली क्षेत्र के विधायक द्वारा होटलों के अतिक्रमण का मामला कभी विधानसभा में उठाया गया या नहीं। इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक राजीव सहजल अब सरकार में मंत्री हैं। सरकार ने आईपीएस मोहित चावला के सस्पेंशन में ऑल इंडिया सर्विसिज (अनुशासन व अपील) रूल्ज 1969 का हवाला दिया है।
दरअसल कसौली घटनाक्रम के बाद राज्य सरकार की खासी किरकिरी हो रही थी। विपक्ष ने कानून-व्यवस्था की स्थिति बेकाबू होने के आरोप लगाकर सरकारी की घेराबंदी की और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडलायुक्त को मामले की जांच के आदेश देते हुए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी।
बता दें कि 01 मई को सोलन की सहायक नगर नियोजन अधिकारी शैल बाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जबकि उनके साथ मौजूद लोकनिर्माण विभाग के बेलदार गुलाब सिंह की गोली लगने से पीजीआई में मौत हुई थी।