शैलेंद्र कालरा / नाहन
साहब, अब जनानी को चारपाई पर डालकर दो किलोमीटर नीचे तक क्यों लाएं, वो तो मर चुकी है। यह बात विक्रमबाग पंचायत के खैरवाला के जंगलों में रहने वाले जम्मुवाल के गुज्जरों ने मोबाइल फोन पर ईएमटी जुल्फीकार अली को कही। तपती गर्मी में 108 एंबूलेंस कर्मी चाहते तो वापस लौट जाते, लेकिन ऐसा नहीं किया।
108 कर्मी ईएमटी जुल्फीकार अली व पायलट राकेश कुमार सूझबूझ न दिखाते तो शायद दो जिन्दगियों को जिंदा ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाता। पलटकर फोन करने वाले शख्स से गर्भवती रोशनी पत्नी रमजान को उस जगह तक लाने को कहा, जहां 108 मौजूद थी। दशकों पहले कश्मीर घाटी से माइग्रेट गुज्जर आज भी शेष दुनिया से हटकर जीवन जीते हैं, जिन्हें बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं होता। गनीमत यह है कि 108 सेवा को लेकर कुछ जागरूक हो चुके हैं।
आप यह जानकर दंग रह जाएंगे, 108 कर्मी जुल्फीकार अली की कोशिश पर समुदाय के लोग जब गर्भवती महिला को चारपाई पर लेकर पहुंचे तो रोशनी की सांसें चल रही थी। तपाक से एंबूलेंस में ही डिलीवरी करवाने का फैसला लिया गया। रोशनी ने स्वस्थ बेटी को जन्म लिया। साथ ही धीरे-धीरे खुद भी होश में आ गई। खुद ईएमटी जुल्फीकार अली रोजा रखे थे। मौके पर गर्मी ऐसी थी कि बर्दाश्त से बाहर हो। बावजूद इसके कोई भी हड़बड़ाहट व जल्दबाजी नहीं दिखाई।
करीब तीन बजे के आसपास जच्चा-बच्चा को लेकर मेडिकल कॉलेज नाहन पहुंच गए। बेशक ही 108 एंबूलेंस में आज रोजाना ही कई महिलाएं बच्चों को जन्म देती हैं, लेकिन यह घटना समूचे प्रदेश में अपनी तरह की पहली ही होगी, जब न केवल एक घंटे से अधिक समय तक खानाबदोश गुज्जरों का भरी गर्मी में इंतजार किया गया, बल्कि सफल प्रसूति करवाकर महिला व बच्चे के जीवन को नए रंग दे दिए।
रोशनी की यह पांचवी प्रसूति थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जागरूकता की कमी के कारण आज भी यह गुज्जर किस तरह का जीवन व्यतीत करते हैं, क्योंकि सामान्य तौर पर आज के समय में पांच बच्चों को जन्म देने का सवाल ही नहीं उठता।
क्या बोले ईएमटी..
उधर संपर्क किए जाने पर 108 एंबूलेंस के ईएमटी जुल्फीकार अली ने माना कि पहले उन्हें गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने की सूचना दी गई थी। तुरंत ही कालाअंब से मौके पर पहुंचे। चूंकि महिला को करीब दो किलोमीटर पैदल लेकर आना था, लिहाजा इंतजार किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि इसी बीच 108 को वापस लौट जाने का संदेश यह कहते हुए दिया गया कि महिला की मौत हो चुकी है। मगर उन पर महिला को एंबूलेंस तक लाने का दबाव डाला गया।
उल्लेखनीय है कि एंबूलेंस में बच्चे को जन्म देने वाली महिला रोशनी का पति कैंसर से पीडि़त है। उन्होंने कहा कि नौकरी करते हुए काफी समय हो गया है, लेकिन बच्ची को गोद में उठाकर जो सुकून मिला वह अविस्मरणीय था।