नाहन (कृष्ण सिंगटा): आखिरकार शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद वीरेंद्र कश्यप मंगलवार को नाहन में नजर आए। अधिकारियों की बैठक के बाद पत्रकारों से मुखातिब हुए। पत्रकारों ने तीखे सवाल दागते हुए पूछा, ट्रांसगिरि को जनजातीय दर्जा दिलवाने के मुद्दे का क्या हुआ। इसके जवाब में कहा कि फाइल सरकार के पास पैंडिंग है।
एक अरसे से अफीम की खेती की पैरवी करने वाले सांसद से पूछा गया कि इस मुद्दे का क्या हुआ तो प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में सांसद ने कहा कि निश्चित तौर पर वह इस मामले की पैरवी कर रहे थे, लेकिन संसद में मजाक का सामना भी करना पड़ा। संसद में बोला जाता था कि हर कोई नशाबंदी की बात करता है, लेकिन वीरेंद्र कश्यप अफीम की खेती की पैरवी कर रहे हैं। सांसद ने साफ तौर पर कहा कि वह अब इस मुद्दे की पैरवी नहीं कर रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि लोकसभा चुनाव में सिरमौर से जुड़ा कौन सा मुद्दा होगा तो उन्होंने साफ कहा कि वह इस बार किसी भी मुद्दे पर चुनाव नहीं लडेंगे। लेकिन यह जरूर कहा कि जब तक जिंदा हूं, गिरिपार को एसटी का दर्जा दिलवाने का मुद्दा उठाता रहूंगा। उन्होंने कांग्रेस को दोषी करार देते हुए कहा कि जब उत्तराखंड के जौंसार इलाके को एसटी का दर्जा दिया गया, अगर उसी वक्त डॉ. वाईएस परमार इस मामले को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के सामने उठाते तो आज इलाका एसटी में होता।
सनद रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह व नितिन गडकरी ने नाहन के चौगान मैदान में सरकार बनने के बाद गिरिपार को जनजातीय दर्जा देने की बात कही थी। इसके अलावा हाटी प्रतिनिधिमंडल ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी।