नाहन (एमबीएम न्यूज़ ): प्रदेश भर में मंदिरों का निर्माण जारी है। रेणुका क्षेत्र के पिडि़याधार में ‘‘ख्लोग देवता’’ मंदिर का निर्माण भी आरंभ हो चुका है। इस मंदिर का निर्माण परंपरागत काठकुणी शैली में किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए ‘‘श्री ख्लोग देवता मंदिर कमेटी’’ के सचिव एवं देवकार्य प्रमुख पृथ्वी सिंह पुंडीर ने बताया कि पुराने मंदिर को तोड़ कर नया बनाया जाएगा जिस पर लगभग 50 लाख रुपए खर्च आने की संभावना है।
कारीगरों द्वारा किया जा रहा काष्ठशिल्प का एक नमूना
इस निर्माण कार्य में मंडी क्षेत्र के आधा दर्जन कारीगर दिनरात जुटे हुए हैं ताकि लगभग छः महीने में मंदिर पूरा हो कर श्रद्धालुओं को हस्तांतरित किया जा सके। इस कार्य में जुटे मुख्य कारीगर रोहित ने बताया कि वे इस निर्माण में श्रद्धालुओं की भावनाओं को देखते हुए, स्थानीय शैली का भी ध्यान रखेंगे। इसी बारे में राय की क्षेत्र के मुखिया नागेंद्र चौहान ने बताया यह देवता लगभग एक दर्जन गांवों का ईष्टदेव है। इस मंदिर में विष्णु भगवान की पत्थर की प्रतिमा विराजमान है जो कि उत्तरी भारत में एक विशेषता प्राप्त मंदिर माना जाता है।
एक जनश्रुति के अनुसार इस प्रतिमा को पांडवोंने अपने वनवास के दौरान बनाया था जो गिरी नदी के किनारे पड़ी हुई थी। इसी संदर्भ में एक कहानी प्रचलित है। इस क्षेत्र के कोई व्यपारी किसी गलतफहमी के चलते दिल्ली बादशाह की जेल में बंधक थे कि तभी उन्हें रात को किसी देवता का सपना आया कि वे आजाद हो गए हैं। सुबह नींद खुली तो पाया कि सारे दरवाजे खुले पड़े थे और कोई भी सिपाही आस-पास नहीं था। वो व्यक्ति वहां से निकल कर घर आया तो रास्ते में गिरी नदी पड़ती है।
उसने नदी पार की तो विष्णु महाराज की प्रस्तर प्रतिमा दबी पड़ी दिखाई दी। उसने उसे उठाना चाहा तो नहीं उठा सका। उसने गांव वालों को बुलाया और कई लोगों के सहयोग से उसे गांव ले गए। उसने खलोग नामक जगह पर मंदिर बनाया और उक्त प्रतिमा को स्थापित किया जो आज पूरे क्षेत्र में श्रद्धास्थल के रूप में प्रसिद्ध है।