घुमारवीं (सुभाष कुमार गौतम) : हिमाचल प्रदेश में मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत काम करने वाले मजदूर आज तक आर्थिक शोषण का शिकार होते रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले कई सालों से मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी मात्र 179 रूपए तक ही पहुँच सकी है।
मनरेगा के मजदूर आठ घंटे जी तोड़ मेहनत करते हैं, लेकिन मिलता क्या है मात्र 179 रूपए। तो क्या मात्र इतने पैसे में गरीब का परिवार चल सकता है। मनरेगा में अधिकतर महिलाएं काम तो करती हैं लेकिन दिल से खुश दिखाई नहीं देती।
मनरेगा में काम करने वाली महिलाओं रक्षा देवी, कांतावली, रोशनी, मीरा कुमारी, सरोज, अनीता कुमारी, आशा, रीना, सपना, निर्मला देवी ने बताया कि सरकार इस योजना में काम तो करवाती है, लेकिन क्या इतने पैसे में मजदूर मिल जाता है जबकि सरकार द्वारा अन्य योजनाओं में काम करने वालों को 210 रूपएे दिहाड़ी फ़िक्स की है।
आठ घंटे सरकारी नौकरी करने वाले एक कर्मचारी को हजारों रूपए मिलते हैं, इतना ही नहीं लोक निर्माण विभाग में काम करने वाले बेलदार को भी सरकार द्वारा अच्छी खासी पगार दी जाती है। फिर मनेरगा में काम करने वालों से सरकार का यह कैसा अन्याय है कि सालों से हमारी दिहाड़ी बढ़ने का नाम ही नहीं लेती और वो भी समय पर नहीं मिल पाती।
महिलाओं का कहना है कि यह काम मात्र मजबूरी है अगर काम नहीं करें तो सरकारी सुविधा से नाम काट देने का रोभ सुनना पड़ता है। जन प्रतिनिधि कहते हैं कि अगर मनरेगा में काम नहीं करोगे तो सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से नाम काट दिया जाएगा।
ऊपर से पंचायत द्वारा काम करने के लिए कोई औजार नहीं दिया जाता, सब सामान घर से लाना पड़ता है और उस पर विभाग के लोगों द्वारा काम की प्रोग्रेस मांगी जाती है तो इतने पैसों में क्या काम की प्रोग्रेस मिल जाएगी और हमारे परिवारों का पेट भर जाएगा। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत पहले 50 दिन काम करने के बाद पहले मजदूरों के नाम श्रम एवम रोजगार विभाग द्वारा एंट्री की जाती थी ताकि महिला मजदूरों को भी लाभ मिल सके।
कुछ समय पहले नाम दर्ज करवाने के लिए मनरेगा में काम करने के दिनों की संख्या बढ़ाकर सौ दिन कर दी गई है जबकि पंचायतों में एक साल में सौ दिन का काम मिलना बहुत मुश्किल है फिर सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा कैसे मिलेगी।
मनरेगा में काम करने वाली महिलाओं ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मांग की है कि इस योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी बढाई जाए, ताकि उन लोगों के परिवारों का भी सही तरीके से भरण पोषण हो सके और सरकार द्वारा मजदूरों को दी जाने वाली सभी सुविधाएं मिल सके।