हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : वन्य प्राणी विभाग को ही हाल के दिनो में एक बड़ी कामयाबी मिली है। वन्य प्राणी विभाग से जुड़े वैज्ञानिको को धौलाधार की दुर्गम पहाडियों में उडने वाली गिलहरी मिली है। बता दे कि यह गिलहरी बड़ी दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। उडऩे वाली गिलहरी कनाडा के दक्षिणी भाग से लेकर अलास्का और मध्य अमेरिका तक पाई जाती है।
असल में उडऩे वाली गिलहरी उडती नहीं बल्की छलांग लगाती है। अगले पंजो से पिछले पंजो तक एक झिली सी होती है जो उसके एक पेड से दुसरे पेड पर छलांग लगाने पर किसी ग्लाइडर की तरह फैल जाती है और उसे हवा में बनाए रखती है। इसी के चलते ये एक पेड से छलांग लगाकर 100 मीटर दूर तक किसी दुसरे पेड पर चली जाती है। सबसे मजे की बात तो ये है कि यह हवा में अपनी दिशा भी बदल सकती है पर दोबारा कूदने के लिए इसे फिर से किसी पेड पर चढ़ना पड़ता है। इसकी खाल ऊपर से हल्की भूरी और नीचे से सफेद होती है। जहां दूसरी गिलहरियाँ दिन में निकलती हैं, ये पूरी तरह से निशाचर है। निशाचर होने के कारण इसकी आंखे काफी बड़ी होती हैं ताकि अंधेरे में अच्छे से देख सके। इसके भोजन में छोटे कीड़े फल और बीज शामिल हैं। मादा साल में एक बार फरवरी मार्च में 2 से 6 बच्चो को जन्म देती है।
कैसे मिली सफलता..
धौलाधार की पहाडिय़ों में बसे जंगली जीव जन्तुओं की रिसर्च के लिए केंद्र व हमीरपुर से वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ कृष्ण कुमार की अगुवाई में एक टीम धौलाधार गई हुई थी। इस रिर्सच में हिमालयन तार के 12 जानवर देव नाला की पहाड़ी के आस-पास देखने को मिले। यह जानवर हिरण की ही एक अहम प्रजाति मानी जाती है। वहीं इन पहाडिय़ों में भालू के होने के लक्षण भी मिले है। टीम के सदस्यों को यहां पर भालू द्वारा खाए गए शहद की जूठन मिली है। वहीं तेंदुए के पंजों के निशान भी मिले है। इसके साथ ही धौलाधार के जंगल में स्नोह पिजन, फॉक्स के साथ-साथ अन्य जानवर मिले है। इसी खोज अभियान में उन्हें इस गिलहरी के बारे में भी पता चला। खोज के दौरान दुर्गम पहाडियों में एक गिलहरी मिली है।
इस रिर्सच में यह भी खुलासा हुआ है कि हिमाचल में तितलियों की प्रजातियां भी बढ़ चुकी है। वन्य प्राणी विभाग के रिकार्ड में पहले तितलियों की 40 प्रजातियां शामिल है। लेकिन इस बार हुए सर्वे में 80 तितलियों की प्रजातियां मिली है। वहीं 140 पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां मिली है। पहले इन प्रजातियों की संख्या 100 तक थी। हिमाचल के लिए यह एक बहुत बड़ा विषय है। जंगली जीव जन्तुओं के साथ-साथ पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां धौलाधार के जंगलों में बसेरा बना रही है। यदि दुनिया के किसी देश में विलुप्त हो रही जीव जन्तुओं की प्रजाति पर रिसर्च करने का फैसला लिया जाता है तो धौलाधार के दम पर देश का प्रतिनिधित्व भी दावा करेंगा कि हमारे इस क्षेत्र में भी जंगली जानवरो का बसेरा है। यहां पर भी रिसर्च हो सकती है।
कृष्ण कुमार, डीएफओ वन्य जीव प्राणी ने कहा कि धौलाधार की पहाडिय़ां जंगली जानवरों की पसंद बन चुकी है। इन पहाडिय़ों पर जानवरों की रिसर्च तीन दिन तक चली। रिर्सच के लिए केंद्र से वन्य जीव जन्तु विशेषज्ञों की सात सदस्यों की टीम यहां पहुंची थी। अब इसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जा रही है। हिमाचल के लिए गौरव का विषय है कि दुनिया के घने जंगलों में बसने वाले जंगली जीव जन्तु धौलाधार के जंगलों को पसंद करते है।