घुमारवीं (सुभाष कुमार गौतम): केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के गृह जिला में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे है। 108 पदों में से डॉक्टरों के 49 पद खाली हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला के अस्पतालों में अगर नजर डाली जाए तो बिलासपुर, तलाई, झंडूता, भराडी व नैना देवी में डॉक्टरो के कुल 108 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से आज भी 49 पद खाली ही चल रहे हैं।
इतना ही नहीं जोनल अस्पताल 10-12 डॉक्टरों के हवाले हैं, जबकि कई अस्पताल तो बिना डॉक्टर या फिर डेपुटेशन पर चल रहे है। नड्डा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने हुए अब तीन साल से ऊपर का समय हो गया है, लेकिन हालात नहीं सुधरे, जिस कारण लोगों को शिमला या पीजीआई चंडीगढ़ रैफर किया जाता है।
आलम यह है कि भराडी सीएचसी में एक्स-रे मशीन तो लगी हुई है लेकिन वोल्टेज न होने के कारण पिछले कई सालों से मशीन बंद पड़ी है।सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन पिछले 18 साल से धूल फांक रही है। सरकार भाजपा की भी आई और कांग्रेस की भी। इस बीच नड्डा साहब, हिमाचल में मंत्री भी रहे, लेकिन मशीन चलाने के लिए एक रेडियोलॉजिस्ट नहीं मिल पाया और आज भी स्थिति ढाक के तीन पात बनी हुई है।
लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निजी क्लीनिक में हजारों रूपएे खर्च करके अपना इलाज करवाने को मजबूर होना पड़ता है। उधर क्षेत्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीके चौधरी का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में रिक्त चल रहे पदों व अन्य समस्याओं के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है।
बहरहाल उम्मीद की जा रही है कि सूबे में भाजपा सरकार काबिज हो चुकी है लिहाजा बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि नड्डा की बदौलत ही बिलासपुर को एम्स की मंजूरी मिली है। लेकिन लोग यह भी चाहते है कि पहले से मौजूद सुविधाओं में सुधार होना चाहिए।