शिमला (एमबीएम न्यूज): सूबे के मीडिया जगत में मंगलवार शाम से खलबली चल रही है। दरअसल सूचना व जनसंपर्क विभाग ने मीडिया एडवाइजर का एक पद पांच साल (मौजूदा सरकार का कार्यकाल) हेतु सृजित किया है। चूंकि पैकेज 1 लाख 44 हजार 200 रुपए प्रतिमाह का है, लिहाजा पत्रकारों खासकर राजधानी में खासी चर्चा चल रही है।
सवाल उठ रहा है कि इस आकर्षक पैकेज पर सरकार का कौन चहेता पत्रकार मीडिया एडवाइजर के पद पर तैनात होगा। ठीक जिस तरीके से चुनाव के वक्त नेता अपने टिकट, बाद में बड़े पद को हासिल करने की लॉबिंग करते हैं, उसी तर्ज पर मीडिया एडवाइजर के पद को लेकर भी लॉबिंग की खबरें आ रही हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा ने मंगलवार को पद सृजित करने की अधिसूचना जारी की थी। वास्तव में सरकार को मीडिया एडवाइजर की आवश्यकता है या फिर किसी पर मेहरबानी की जानी है।
सोशल मीडिया में सरकार की यह अधिसूचना खासी चर्चा में है। कलम के सिपाही इस पर खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। पांच साल में सरकार को मीडिया एडवाइजर के लिए 86 लाख 52 हजार रुपए खर्च करने होंगे। दरअसल सवाल इस कारण भी उठ रहा है, क्योंकि मौजूदा समय में प्रदेश वित्तीय संकट से गुजर रहा है। सरकार कह चुकी है कि प्रदेश पर 46 हजार 500 करोड़ का कर्ज बकाया है। यहां तक की सीएम रिलीफ फंड तक को धन नहीं है।
सनद रहे कि सीएम रिलीफ फंड को बेसहारा व गरीब जरूरतमंदों पर खर्च किया जाता है। कुल मिलाकर नजरें इस बात पर भी टिकी हुई है कि इस बड़े पैकेज पर सरकार किसे मीडिया एडवाइजर नियुक्त करती है।