शिमला, (एमबीएम न्यूज़): प्रदेश के लोगों को और बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार ने पुलिस विभाग में आवश्यकतानुसार अधोसंरचना सृजन सहित इसे आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने के लिए अनेक निर्णय लिए हैं। पुलिस बल को सुदृढ़ करने के लिए पुरूष कांसटेबल के 600 पद और महिला कांसटेबल के 200 पदों को भरने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। शिमला, मंडी व धर्मशाला में तीन महिला पुलिस थाने खोले एवं क्रियाशील बनाए गए हैं।
राज्य सरकार इस वर्ष बद्दी और कुल्लू में दो और महिला थानों की स्थापना करने जा रही है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में सरकार ने प्रदेश में सभी 128 पुलिस पोस्टों को अधीनस्थ पुलिस स्टेशन के तौर पर नामित किया है जिससे अब इन पोस्टों में भी प्राथमिकी दर्ज करवाने की सुविधा उपलब्ध हुई है। पुलिस पोस्टें पुलिस स्टेशनों के अधीन कार्य कर रही हैं, लेकिन पहले इन पोस्टों को प्राथमिकी दर्ज करने की शक्तियां नहीं थी, जिसके चलते लोगों को पुलिस स्टेशन में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। सभी अधीनस्थ पुलिस चौकियों का पूरी तरह कंप्यूट्रीकरण किया जा रहा है और इन्हें ब्रॉडबैंड के माध्यम से राष्ट्रीय अपराध एवं आपराधिक जांच नेटवर्क व प्रणाली परियोजना से जोड़ा जा रहा है।
पुलिस आवासों के लिए इस वर्ष राज्य सरकार ने 20 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया है। पुलिस स्टेशनों के निर्माण एवं रखरखाव के लिए भी पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेश में पिछले अढ़ाई वर्षों के दौरान आवश्यकतानुसार पदों के सृजन एवं इन्हें भरने के अलावा अनेक पुलिस स्टेशन एवं पुलिस पदों का सृजन एवं स्तरोन्नत किया गया है। महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए राज्य के हर पुलिस स्टेशन में महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती की गई है। वॉयस विश्लेषण एवं डिजीटल सुविधाओं के अभाव में अपराधों की जांच में देरी के मद्देनजर प्रदेश सरकार जुन्गा स्थित राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में एक वॉयस विश्लेषण और एक डिजीटल फोरेंसिक डिवीजन का सृजन कर रही है। इससे वॉयस एवं डिजीटल नमूनों को जांच के लिए राज्य से बाहर नहीं भेजना पड़ेगा।
इसी वर्ष एक सचल फोरेंसिक इकाई बिलासपुर में स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। नए उभर रहे साईबर अपराधों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक अत्याधुनिक साईबर सुरक्षा जांच एवं नवोंवेशण केंद्र की स्थापना करने का निर्णय लिया है। इस केंद्र को साईबर अपराध पुलिस स्टेशन के तौर पर अधिसूचित किया जाएगा। बेहतर प्रमाणिकता के कारण विभिन्न आपराधिक एवं नागरिक मामलों में जांच को पुख्ता करने के लिए डीएनए एक बेहद जरूरी तकनीक है। वर्तमान में यह सुविधा राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला जुन्गा में उपलब्ध है और अब इसे मंडी एवं धर्मशाला स्थित क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में भी उपलब्ध करवाया जा रहा है।
जन शिकायतों के निपटारे के लिए पुलिस विभाग एसएमएस गेटवे सुविधा प्रदान कर रहा है। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों की रिपोर्ट के लिए आम जनता को टॉल-फ्री दूरभाष नंबर 0177-2629893 की सुविधा प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, भ्रष्टाचार निरोधक हैल्पलाईन के तौर पर टॉल फ्री नंबर 1064 भी उपलब्ध है। सड़क सुरक्षा प्रबंधन एवं नियोजन के उद्देश्य से राज्य पुलिस, लोक निर्माण व परिवहन विभागों द्वारा सड़क दुर्घटना डाटा प्रबंधन प्रणाली (आरएडीएमएस) लागू की गई है। लोगों को उनके पासपोर्ट समय पर बनवाने की सुविधा प्रदान करने करने के लिए पुलिस विभाग पासपोर्ट प्रमाणीकरण का कार्य राज्य सरकार द्वारा निर्धारित समयावधि के अंदर सुनिश्चित कर रहा है। जन शिकायतों के निवारण के लिए विभिन्न स्तरों पर समयावधि को तवज्जों प्रदान की जा रही है।
पुलिस थाना स्तर पर शिकायतों का निराकरण 15 दिनों में, उपमंडल पुलिस अधिकारी स्तर पर 21 दिनों में, जिला स्तर पर एक माह, जबकि पुलिस महानिदेशालय स्तर पर शिकायतों का निपटारा 45 दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जा रहा है। पुलिस विभाग पुलिस चौकियों, पुलिस स्टेशनों, उपमंडल एवं जिला स्तर पर सामुदायिक पुलिस योजना को कार्यान्वित कर रहा है। विभाग ने राज्य में अवैध खनन के मामले पंजीकृत करने में अभूतपूर्व उपलब्धियों हासिल की हैं। अवैध खनन को रोकने के लिए समय-समय पर विभिन्न जिलों में विशेष अभियान भी चलाए जा रहे हैं।