नाहन (एमबीएम न्यूज) : ऊंची दुकान, फीका पकवान। यह कहावत डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज पर चरितार्थ हो रही है। बेशक ही मेडिकल कॉलेज में अन्य सुविधाओं का भी जबरदस्त टोटा है, लेकिन शर्मनाक बात यह है कि दर्जनों गर्भवती महिलाओं को ठंड के मौसम में फर्श पर बैठकर बारी का इंतजार करना पड़ता है। स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं को घंटों लाइनों में खड़े रहना पड़ता है।
शुक्रवार को तो हद ही मची थी। सब्र का बांध उस वक्त टूटा, जब महिलाओं को पता चला कि स्त्री रोग विशेषज्ञ मात्र 25 महिलाओं का ही चैकअप कर पाएंगे। पांवटा साहिब से रजिया व हरिपुरधार से गुरु देवी टैक्सी का बिल चुकाकर लगातार तीन दिन से चैकअप के लिए आ रही थी। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। मेडिकल कॉलेज से बेहतर क्षेत्रीय अस्पताल ही था, जहां इस तरह की मारामारी नहीं थी। दरअसल मेडिकल कॉलेज बनने के बाद मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो गई। इसके विपरीत सुविधाएं महज 10 प्रतिशत भी नहीं बढ़ पाई हैं।
हैरान करने वाली बात यह भी है कि ओपीडी में गर्भवती महिलाओं को बैठने के लिए व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन माना जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का जबरदस्त तरीके से राजनीतिकरण हुआ है। शुक्रवार को महिला ओपीडी के बाहर लगभग 150 महिलाएं मौजूद थी, लेकिन डयूटी पर महज एक स्त्री रोग विशेषज्ञ तैनात था।
उधर मेडिकल कॉलेज प्रशासन का तर्क है कि कॉलेज में चार स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जिसमें से एक की डयूटी ओपीडी व दूसरे की वार्ड में है। दो विशेषज्ञ छुट्टी पर हैं। छुट्टी पर गए एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के पिता बिमार हैं। मेडिकल अधीक्षक डॉ. केके पराशर का कहना है कि स्त्री रोग विशेषज्ञों की संख्या में इजाफा करने को लिखा जा रहा है।
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