शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करीब-करीब हर सीट पर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाते हैं। सैंकड़ों निर्दलीय चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज तो करवाते हैं, लेकिन इनमें से महज कुछ ही विधानसभा पहुंच पाते हैं। खास बात यह है कि बीते 50 साल में निर्दलीय विधायकों का आंकड़ा दहाई तक भी नहीं पहुंच पाया है। प्रदेश में वर्ष 1967 के चुनाव में ही निर्दलीय विधायकों ने सर्वाधिक 16 सीटें जीती थीं। इसके बाद ऐसा करिश्मा कभी नहीं हुआ। सबसे ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी वर्ष 1982 के चनावों में उतरे थे। तब 205 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव दंगल में कूदे थे, जिनमें महज 6 प्रत्याशी ही जीत दर्ज कर पाए।
वर्ष 1951 में हुए पहले चुनाव में 51 निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। लेकिन महज 8 ही विधायक बन पाए। इसके बाद वर्ष 1967 के चुनावों में निर्दलीय विधायकों की संख्या 147 हो गई, जिसमें 16 जीत पाए। लेकिन 1972 के चुनाव में 148 निर्दलीय प्रत्याशियों में से 7 ही जीत हासिल कर सके। वर्ष 1977 के चुनाव में 195 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई, मगर महज 6 को सफलता मिली। वर्ष 1982 में पहली बार 205 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, लेकिन ही जीते। वर्ष 1985 में 136 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव लड़े और 2 ही जीत पाए। वर्ष 1990 और वर्ष 1998 में महज एक ही निर्दलीय विधायक विधानसभा पहुंच पाया। वर्ष 1993 में 7, वर्ष 2003 में 6 और वर्ष 2007 में 3 निर्दलीय उम्मीवारों को विजयी मिली थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 5 प्रत्याशी बतौर निर्दलीय विजयी रहे थे।
हिमाचल में निर्दलीय चुनाव जीत कर कुछ बागी प्रत्याशी सता में आने वाले दल को एसोसिएट सदस्य के रूप में ज्वाईन कर लेते हैं। वर्ष 2012 में जीत कर विधानसभा पहुंचे 5 निर्दलीय विधायक चार साल तक कांग्रेस सरकार के एसोसिएट सदस्य रहे। लेकिन चुनावी वर्ष में इनमें से एक निर्दलीय विधायक बलवीर बर्मा भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले वर्ष 2003 में कुसंपटी से निर्दलीय चुनाव जीत कर आए विधायक सोहन लाल कांग्रेस के एसोसिएट सदस्य बने और बाद में 2007 के चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर दूसरी बार विधायक बने।
यह स्थिति ठियोग के विधायक राकेश वर्मा की है। वर्ष 1993 में वर्मा ने भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ा। वर्ष 2003 में निर्दलीय चुनाव जीते और कांग्रेस के एसोसिएट सदस्य रहे। वष्र 2007 के चुनाव निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीते। बाद में भाजपा के एसोसिएट विधायक रहे।