सराहां (एमबीएम न्यूज) : राज्य स्तरीय श्री वामन द्वादशी मेले की पहली सांस्कृतिक संध्या हिमांशु तनवर के नाम रही। हिमांशु ने हिंदी, पंजाबी गानों व पहाड़ी नाटी से दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया। राज्य स्तरीय श्रीवामन द्वादशी मेले की पहली स्टार नाइट का आगाज कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पंहुचे डीसी सिरमौर बीसी बडालिया ने दीप प्रजल्वित कर किया।
पहली सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत करते हुए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कन्या सराहां की छात्राओं ने संगीत अध्यापिका सरला ठाकुर के नेतृत्व में शारदे दे मां शारदे गा कर किया। उसके बाद रियलटी शो विजेता हिमाशु तनवर ने मंच संभाला। एक के बाद एक गाने गाकर दर्शकों से जमकर वाहवाही लूटी। तनवर ने सबसे पहले – माही वे माही, हॉय दिल मेरा मुफ्त का, गाड़ी ते न चढ़ दी, बोलो तारा-तारा ना-ना रे, साड़े नाल रहोगे तो रेश करोगे, तुझे लागे न नजरियां, खाईयिके पान बना रस वाला, डम डम बाजे डोल से लोगों को सीटियां बाजने पर मजबूर कर दिया।
एंकर शशि चौहान ने भी बीच-बीच में शायरी से कार्यक्रम में चार चांद लगाए। उसके बाद विनोद रांटा ने मंच संभाला और पंहाडी नाटियों से दर्शकों को रिझाने का प्रयास किया। जिसमें धारो पांदो लगो कुकडी मामा, ओ इंद्रा चली कुल्लू-मनाली धुमदी, घ्ंटी बाजी फोन री तेरे परसो प्रस्तुत की। फिर कार्तिक शर्मा मंच पर आए ओर तुम जो मिल गये हो, ये जहां मिल गया पर तालियां बटोरी, उसके बाद पंजाबी गाना-तू चंगा नहीं किता दिल मेरा तोड के, तू की जाने प्यार मेरा, तारे गिन-गिन कर मैं तो जागा राता नू पर दर्शकों को मंत्र मुक्त कर दिया।
डॉ. सहगल नहीं जमा पाये महफिल
संगीत के क्षेत्र हिमाचल गौरव से पुरस्कृत डॉ. कृष्ण लाल सहगल सबसे अंत में अपनी प्रस्तुती पेश करने पंहुचे। डॉ. सहगल ने सबसे पहले तेरी महिमा रा गुण गान देवा शिरगुला भजन से आगाज किया। उसके बाद क्लासिक पर प्रस्तुति दी। मगर पहाडी नाटी व पंजाबी गाने पर झूम रहे दर्शकों को भजन व क्लासिक रास नहीं आया और उन्होंने पंडाल छोडना शुरू कर दिया। कुछ ही क्षण हजारों की संख्या गिनती की रह गई।
दर्शकों की नब्ज को भांपते हुये जब तक डॉ. सहगल ने नाटियां शुरू की सांस्कृतिक संध्या को समाप्त करने का समय हो गया। कार्यक्रम के अंतिम समय में सहगल ने एक एक पंक्ति की नाटियां पेश की। जिसमें कैलाशों मेरा हिमाचलो ऊची चोटी ऊपरी कैलाशों, ऐसी मूजरे चढ़ी जवानी, चुगदा-चुगदा हिरनू बोल दा, मेरिये जाने रा बसेरा, बाटुआ धानो पांदो, काला बाश कौआं, गिरीये रे पानी प्रस्तुत किये।