शिमला ( एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छह दृष्टिबाधित विद्यार्थियों ने आज नेत्रदान का संकल्प करके एक अनूठा संदेश दिया। डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन (डीएसए) द्वारा उमंग फाउंडेशन के सहयोग से ‘नेत्रदान एवं विद्यार्थियों की भूमिका’ विषय पर हुई कार्यशाला में नेत्रदान के लिए 30 से अधिक विद्यार्थियों ने संकल्प पत्र भरे जिनमें 6 दृष्टिबाधित शामिल थे।
विश्वविद्यालय के विकलांगता मामलों के नोडल ऑफिसर एवं उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को नेत्रदान और आरटीआई की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि वे दृष्टिबाधित व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं जिनका कॉर्निया यानी आंख की पुतली ठीक होती है। ऐसे दृष्टिबाधित व्यक्ति स्वयं तो नहीं देख सकते लेकिन मृत्यु के बाद उनकी आंखों से दूसरे दृष्टिहीन यह दुनिया देख सकते हैं।
डीएसए के संयोजक सतीश ठाकुर ने बताया कि विश्वविद्यालय के 6 दृष्टिबाधित विद्यार्थियों- संगीता, अनुज कुमार, विनोद शर्मा अजय कुमार, सपना चौहान और जसवीर सिंह ने भी नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा। प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कार्यशाला में कहा कि राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितंबर तक मनाया जाता है। इसी के अंतर्गत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रो. श्रीवास्तव ने बताया कि मृत्यु के छह घंटे के भीतर मृतक की आंखों से सिर्फ पुतली दान में ली जाती है। यह एक आसान प्रक्रिया है जो कोई भी डॉक्टर कर सकता है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में 7 वर्ष पूर्व नेत्रबैंक की स्थापना हुई थी लेकिन वह संतोषजनक ढंग से कार्य नहीं कर रहा है। अभी तक उसमें लगभग 175 कार्निया ही प्रत्यारोपित किए गए हैं जोकि बहुत कम हैं। सरकार नेत्र संग्रह के लिए कोई प्रयास नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि नेत्रदान एक नेक कार्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से नेत्रदान के बारे में जागरूकता फैलाने एवं नेत्रबैंक के सुचारू ढंग से संचालन के लिए सरकार पर दबाव बनाने की अपील की। जिन अन्य विद्यार्थियों ने नेत्रदान के फॉर्म भरे उनमें सतीश ठाकुर, लेखराज शर्मा, मुकेश कुमार, मोनिका राव, मीरा देवी, चन्द्रिका, मीना शर्मा, संदीप चौहान, हेमसिंह, किरण बोध, अंशुल शर्मा, मनीषा ठाकुर, रीनू रापटा, प्रीति, और साक्षी मिश्रा शामिल हैं।