रिकांगपिओ (जीता सिंह नेगी) : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से हिमाचल में नदी-नालों से 100 मीटर की दूरी पर लगे स्टोन क्रेशरो को हटाए जाने के आदेश के बाद भी जिला में इन आदेशों की धज्जिया उड रही हैं। सरकारी इंपलिमेंट एजैंसियों की हालत यह है कि न्यायालय के आदेशों को सख्ती से तामिल करना तो दूर की बात, उल्टा अवैध कारोबारियों के प्रति नरम रुख अपनाए हुए हैं।
बताते चले कि इन दिनों जिला के रल्ली नामक स्थान पर पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के तय मापदण्डों को दरकिनार करते हुए अवैध रूप से स्टोन क्रशर चल रहा है। यह स्टोन क्रशर सतलुज नदी से मात्र 15 से 20 मीटर तथा सतलुज नदी पर बने ब्रिज सहित एनएच से करीब 20-25 मीटर की दूरी पर स्थापित किया गया है।
हिमाचल प्रदेश पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के गाईड लाईन के मुताबिक सतलुज नदी से 100 मीटर तथा किसी भी ब्रिजी से 500 मीटर व 200 मीटर की दूरी पर न तो खनन किया जा सकता है न ही स्टोन क्रशर स्थापित किया जा सकता है। रली गांव के स्थानीय ग्रामीण चन्द्र शेखर, सुशील कुमार, प्रदीप कुमार, अमित आदि ने कई लोगों ने बताया कि रल्ली में जिस स्थान पर स्टोन क्रशर स्थापित किया गया है, उस सरकारी भूमि को स्टोन क्रेशर स्थापित करने के लिए स्थानातरित तक नहीं किया गया है।
यहां तक कि इस स्टोन क्रशर में रोड मैटेरियल कहा से लाया जाएगा यह तक नहीं दर्शाया गया है। इस क्रशर में शौंगठंग परियोजना से निकाले गए पत्थरों को यूज किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह अवैध है। उन्होंने कहा कि अवैध रूप से चल रहे इस क्रशर प्लांट की जानकारी रल्ली ग्राम सभा की प्रशासन व माईनिंग विभाग को लिखित रूप से अवगत करवाया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
ग्रामीणो ने हैरानी जताते हुए बताया कि जहां पर यह स्टोन क्रशर स्थापित है, वहां से चंद किलोमीटर की दूरी पर खनन अधिकारी का कार्यालय होने के साथ-साथ जिला स्तर के तमाम अधिकारी रहते हैं। बावजूद इसके रल्ली में एनजीटी के आदेशों की धज्जिया उड रही हैं।
क्या कहते है खनन अधिकारी
जिला खनन अधिकारी गगन दीप ने कहा कि रल्ली स्टोन क्रशर स्थापित करने के लिए राजेन्द्रा इन्फ्रा स्ट्रक्चर को जेएसडब्लयू कंपनी से एनओसी प्राप्त है। स्टोन क्रशर में रोड मेटिरियल कहा से यूज हो रहा है, इसकी हमे जानकारी नहीं है। आप बताएं कि इनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की जाए।