मंडी (वी कुमार) : ऐतिहासिक पड्डल मैदान को चारों ओर से सील कर देने से स्थानीय निवासियों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। मैदान में नई घास लगाने व मरम्मत कार्य के लिए 26 जून को इस मैदान के सारे गेट बंद कर दिए थे, जिसे 19 सितंबर तक बंद रखने की सूचना भी जगह जगह लगा दी है। शहर के हजारों लोग व खिलाड़ी जो इस मैदान को खेल गतिविधियों व सैर आदि के लिए प्रयोग करते हैं उन्होंने ने मरम्मत के नाम पर व मैदान की कायाकल्प हो जाए इस उम्मीद से मन मार लिया और अच्छे दिनों का इंतजार करना शुरू कर दिया मगर जो स्थानीय निवासी हैं जो यहीं से होकर अपने घर जाते हैं उन पर तो आफत टूट पड़ी है।
इसी मैदान के बीच से बनी सडक नीचे प्राचीन जालपा मंदिर तक जाती है जिसमें स्कूटर, थ्री व्हीलर, कार, एंबुलैंस आदि मंदिर तक जाती है। वहां आसपास में पुजारी व अन्य लोगों के आवास हैं। सरकारी कालेज के प्रवक्ताओं की आवासीय कालोनी भी है। अब थाने के सामने मुख्य गेट को ही बंद करने से वहां तक जाने के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। 85 साल के पुजारी प्रकाश चंद शर्मा ने बताया कि वह और उनकी पत्नी चल नहीं सकते, उन्हें अस्पताल आदि ले जाने के लिए एंबुलैंस, स्कूटी या तिपहिया वाहन ले जाना पड़ता है मगर अब सब बंद हो गया है।
इसी तरह से अनंत राम भी 80 साल के हैं उनका परिवार भी परेशानी में है। इसी तरह से स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे भी मुख्य सडक से पैदल ही जाते हैं। जालपा मंदिर के पास बकायदा पार्किंग बनी है और वहां तक गाडियां कई साल से जाती हैं। अब उनकी सुविधा को मैदान की मरम्मत के नाम पर छीन कर आफत में डाल दिया गया है। यही नहीं इन लोगों के दर्जनों वाहन भी घरों में कैद होकर रह गए हैं या फिर बाहर सडकों पर पार्क हुए पड़े हैं जिनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।
इनकी मांग है कि या तो बंद गेट पर टंगे ताले की एक चाबी उनके पास दे दी जाए ताकि वह अपने वाहन घर तक ले जा सकें या फिर उन्हें अस्थायी तौर पर परमिट जारी करके अपने घर तक वाहन ले जाने दिया जाए। इसके अलावा क्लब के गेट के साथ साथ भी रास्ता बनाकर उनकी सडक को बहाल किया जा सकता है। लोग इसे अंग्रेजों की तरह हुक्मनामा जारी करने की संज्ञा दे रहे हैं तथा प्रशासन व सरकार को कोस रहे हैं।