-35 साल में मात्र एक बार लोगों को हुए दर्शन
नाहन । शैलेंद्र कालरा
सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की तलवार को दो साल पहले दर्शनो के लिए रखा गया था। अब यह बात गौर करने लायक है कि इस तलवार के जयपुर से नाहन आने के बाद शहर की तरक्की ने रफ्तार पकड़ी है। गौर किया जाए तो मेडीकल कॉलेज व आईआईएम की घोषणा इसके बाद ही हुई है।
इंटरनेट से निकाली गई गुरु गोविंद सिंह जी की तलवार की तस्वीरें
दशकों से लटके कॉलेज भवन के निर्माण की भूमि का मामला सुलझ गया, अस्पताल का जीर्णोद्धार हुआ, नाहन-कुम्हारहट्टी मार्ग नेशनल हाईवे घोषित हो गया। देखने में यह भी आया है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की रूचि नाहन के विकास को लेकर बढ़ी है। कई दौरों में वह करोड़ॉ रुपए की सौगातें नाहन समेत अन्य हिस्सों को दे चुके हैं।
अलबत्ता दो साल से भी कम समय में यह साफ हो चुका है कि अगर गुरु महाराज की तलवार नाहन में स्थाई तौर पर रखी जाए, साथ ही नियमित पूजा-अर्चना हो तो नाहन की तरक्की के मार्ग में कोई बाधा नहीं आएगी।
हवा में लहलहाती तलवार
ठीक 331 साल पहले 30 अप्रैल के दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी नाहन पधारे थे। इस दौरान तत्कालीन शासक मेदनी प्रकाश को गुरु द्वारा भेंट की गई तलवार के दर्शनो के लिए श्रद्धालु तरसते हैं। गुरु का आगमन दिवस इस बार भी हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। मगर इस बार भी श्रद्धालुओं को गुरु गोविंद सिंह जी की तलवार के दर्शनो से वंचित रहना पड़ सकता है।
तकरीबन 35 सालों में श्रद्धालुओं को गुरु की तलवार के दर्शन केवल एक बार उस वक्त हो पाए, जब जयपुर की राजमाता पदमिनी देवी के नाती का मई 2013 में शाही महल परिसर में राज्य अभिषेक (मंगल तिलक) हुआ था। इसके बाद राजमाता परिवार समेत गुरुद्वारे पहुंची थी। इस दौरान वह अपने साथ गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा भेंट की गई तलवार भी लेकर आई थी। उस वक्त तलवार को छू कर आशीर्वाद लेने की होड़ मच गई थी।
ऐतिहासिक नाहन गुरुद्वारे में दर्शनो के लिए रखी गई गुरु महाराज की तलवार
राजमाता के दामाद महाराज नरेंद्र सिंह को इस तलवार को संरक्षित रखने में खासी मशक्कत भी करनी पड़ी थी। करीब आधा घंटा गुरुद्वारे में तलवार को रखा गया।
इस दौरान तलवार मयान से भी बाहर निकली थी। शहर की उन्नति व प्रगति की प्रतीक इस तलवार के सिटी पैलेस जयपुर जाने के बाद शहर की तरक्की रुक गई थी। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एएस शाह का कहना है कि गुरु गोविंद सिंह जी 30 अप्रैल 1684 को नाहन आए थे। सिरमौर के शाही महल की संपत्ति को लेकर 80 के दशक में कानूनी वारिसों के बीच विवाद पैदा हुआ था।
मौजूदा में जयपुर की राजमाता ने इस बात को स्वीकार किया था कि कानूनी वारिस होने के नाते गुरु गोविंद सिंह जी की तलवार उनके कब्जे में है। गौरतलब है कि जयपुर की महारानी पदमिनी देवी सिरमौर के अंतिम शासक महाराजा राजेंद्र प्रकाश की बेटी हैं।