रिकांगपिओ – अपने मांगें को लेकर एक हजार मैगावाट की करछम—वांगतू व बास्पा—2 विद्युत परियोजना के के कर्मचारियांं की हडताल ने बुधवार को सौ दिन पूरे कर लिए है। लेकिन तब से लेकर अब तक उन की सभी मांगे जस की तस बनी हुई है। इस से पूर्व हडताल,अनशन,रैली व धारा 144 पर विस्तार से चर्चा की जाए तो इन सौ दिनों के बीच इन कर्मचारियों को कई कठिनाईयों का सामना करना पडा है। पिछले सौ दिनों से हडताल जारी होने के बीच अब तक दो कर्मचारियों एक सागंला के कूपा मे दूसरा आईजीएमसी में मौत हो चुकी है। जबकि कई मजदूरो का बिमारी के चलते शिमला,पीजीआई चंडीगढ मे ईलाज चल रहा है। मजदूरों को कहना है कि इन सौ दिनों में कंपनी प्रबंधन द्वारा शेड से बाहर निकाल दिया गया जिस कारण मजदूरों को भूखें व बाहर ही रहना पडा है। जिस कारण मजदूर बिमार हो रहे है। इन सौ दिनों के हडताल में कई राजनैतिक दलों ने हडताल में भाग लेकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेखने से भी नही चूके मगर अब कई दलो ने किनारा भी कर लिया है। ईटकं के बेनर तले ही सब से पूर्व कंपनी प्रबधन के खिलाफ मांगो को लेकर जेपी वकर्स यूनियन एकजूट हेा कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था तब वर्कस यूनियन ने कभी सोचा भी होगा कि अब तक के इतिहास में सब से लंबी हडताल चलेगी। इस बीच भाजपा के नेताओं ने भी वर्कस यूनियन के रैलियों मे भाग लेकर उन का समर्थन दिया था । समय के साथ धीरे धीरे ईंटक ने वर्कस यूनियन से किनारा कर लिया,तो भाजपा ने भी वर्कस का साथ छोड दिया। अब वकर्स को सीटू का एक मात्र सहारा है। इस से पूर्व टापरी,शौल्टू,भावानगर,रिकांगपिओ मुख्यालय में विशाल रैली निकाल कर कंपनी प्रबंधन,सरकार व जिला प्रशासन पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश की गई! सौ दिनों के हडताल के बीच 53वां दिन में जेपी वर्करस यूनियन रक्त से अपना तिलक लगा कर संघर्ष को और तेज का सकंल्प भी लिया था। इन रैलियों मे स्थानिय ग्रामीणों ने भी वर्कस का साथ दिया था। इन रेलियों में सीटू के कई पदाधिकारियों ने भी साथ दिया था।
र्इंटक ने छोडा साथ
करीब 59 दिनों के हडताल के पहुंचते पहुंचते ईटंक ने आंदोलन बंद करने की घोषणा की गई। जेपी वकर्स यूनियन 19 मार्च को टापरी में विशाल रैली निकालने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी मगर 18 शाम सेे अब तक परियोजना स्थल टापरी व शोल्तू में धारा 144 लगाई गई है। जो अब तक जारी है। लेकिन वर्कस यूनियन ने अपनी रैली को बंद नही किया व परियोजना स्थल से कुछ दूरी रियाशल नामक स्थान पर रैली निकाली गई।
मांग
सभी मजदूरो को नियामित करना,मजदूरों की मुख्य मांगो में ठेकेदारी प्रथा के द्वारा रखे गए मजदूरों को नियमित करना,अवकाश,वर्दी ,महंगाई भत्ता देना, एसजेवीएनएल के तर्ज पर यहां के मजदूरों व कमगारों को वेतन देना तथा कारखाना अधिनियम 1948 को दोनों परियोजनाओं में लागू करना शामिल हैं। मजदूरो को काम करते हुए मृत्यू होने पर आश्रितों को मुआवजा देने व पेंशन देने का प्रावधान देना । इसी तरह कई और मांग शामिल है।