शिमला (एमबीएम न्यूज़ ) : उमंग फाउंडेशन ने मांग की है कि शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के उस एनजीओ के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज कराए जिसने हिमाचल प्रदेश में सरकारी और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों की मिल-भगत से बच्चों का इस्तेमाल करके कैंसर के नाम पर लाखों रुपए इकट्ठे किए। उच्च शिक्षा निदेशक ने फाउंडेशन की मांग पर अभी सरकारी और निजी स्कूलों में एनजीओ द्वारा बच्चों के जरिए चंदा उगाही की गतिविधियों पर पाबंदी लगाई है। उच्चस्तरीय जांच या एफआईआर पर विभाग खामोश है।
फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव का कहना है कि दोषी स्कूलों और एनजीओ को बचाने की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कई अन्य एनजीओ अभी भी प्रदेश में यह गोरखधंधा चला कर बच्चों का शोषण कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री को आज एक और पत्र भेजकर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस गंभीर मामले की उच्चस्तरीय जांच न होने पर उनकी संस्था अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी। प्रदेश के भोले-भाले बच्चों को हथियार बनाकर कैंसर पीड़ितों की मदद ने नाम पर नागरिकों को ठगना सहन नही किया जा सकता।उल्लेखनीय है कि अजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को 16 मई को पत्र लिखकर शिमला के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय लालपानी के विद्यार्थियों का इस्तेमाल करके उत्तर प्रदेश के एनजीओ के लिए फंड इकट्ठा करने का मामला उजागर किया था ।
इस पर उच्च शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों का इस्तेमाल करके चंदा उगाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन न तो लखनऊ की “कैंसर एड सोसाइटी” के खिलाफ कोई एफआईआर लिखाई गई और न ही किसी जांच की घोषणा हुई। ऐसा लगता है कि इस मामले को एक स्थानीय घटना बताकर एक बड़े घोटाले को रफा-दफा किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि लालपानी स्कूल की या घटना एक बहुत छोटा उदाहरण है। उन्हें अनेक ज़िलों से सूचनाएं मिली हैं कि स्कूल प्रशासन की मिलीभगत से बाहरी राज्यों के एनजीओ बच्चों के जरिए चंदे का धंधा चला रहे हैं। यदि मामले की उच्च स्तरीय जांच और एनजीओ तथा दोषी स्कूलों के खिलाफ एफआईआर की मांग न मानी गई तो उमंग फाउंडेशन कार्रवाई के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी।