शिमला, 04 नवंबर : हिमाचल की सत्ता की चाबी ‘कांगड़ा’ जनपद के हाथ में रहती है। ये वो जिला है, जहां से सत्ता का रास्ता निकलता है। 15 विधानसभा क्षेत्र वाले कांगड़ा जिला का फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र “हाॅट सीट” की फेहरिस्त में शामिल है। इसकी वजह ये है कि भाजपा के फायर ब्रांड नेता को निर्वाचन क्षेत्र बदलकर फतेहपुर से चुनावी मैदान में उतारा गया है।
हाल ही में ये निर्वाचन क्षेत्र उस समय सुर्खियों में आ गया था, जब भाजपा प्रत्याशी व वन मंत्री राकेश पठानिया के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्टर चस्पा हुए थे। इसमें पठानिया के साथ-साथ बेटे के खिलाफ भी तल्ख टिप्पणी की गई थी। वैसे तो इस निर्वाचन क्षेत्र में राजपूत बिरादरी का खासा प्रभाव है, लेकिन ब्राह्मण, ओबीसी व एससी मतदाता भी हार-जीत का फैसला करने में सक्षम हैं।
संभवतः 45 से 50 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता होने की वजह से ही फायर ब्रांड नेता के निर्वाचन क्षेत्र को नूरपुर से बदलकर फतेहपुर किया गया है। दिलचस्प ये है कि कांग्रेस के तेजतर्रार नेता दिवंगत सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। ऐसे में ये साफ जाहिर है कि राजपूत बिरादरी के मत विभाजित होंगे। ऐसे में ब्राह्मण, ओबीसी व एससी मतदाताओं की भूमिका अहम होगी।
उधर, आम आदमी पार्टी के टिकट पर डाॅ. राजन सुशांत भी इस निर्वाचन क्षेत्र में मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की स्थिति में हैं। डाॅ. सुशांत ने 2017 के चुनाव में 10.62 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि राजपूत बिरादरी के अन्य उम्मीदवार बलदेव ठाकुर ने भी 22.4 प्रतिशत मत लेकर भाजपा प्रत्याशी कृपाल सिंह परमार का खेल बिगाड़ दिया था। गौरतलब है कि इस निर्वाचन क्षेत्र से 8 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
आपको ये भी बता दें कि वन मंत्री राकेश पठानिया ने करीब 10 साल तक राजनीतिक वनवास का भी सामना किया। 2017 में नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत गए थे।
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भाजपा में बगावत…
रोचक बात ये भी है कि राजन सुशांत, कृपाल परमार व राकेश पठानिया बेशक ही अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर मैदान में उतरे हैं, लेकिन तीनों की पृष्ठभूमि भाजपा से ही जुड़ी हुई है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के दिवंगत नेता सुजान सिंह पठानिया ने फतेहपुर सीट से 7 बार चुनाव जीतने का रिकाॅर्ड कायम किया था। 2017 के चुनाव में भाजपा ने कृपाल परमार को टिकट दिया था। लेकिन उनके खिलाफ बाहरी होने का मुद्दा हावी हुआ था। उप चुनाव में परमार को टिकट नहीं दिया गया था। इस बार वन मंत्री को यहां शिफ्ट किया गया है। उधर, कांग्रेस के पक्ष में हल्की राहत ये है कि पार्टी के खिलाफ बागी नहीं हैं।
उपचुनाव का लेखा-जोखा…
कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद फतेहपुर सीट पर नवंबर 2021 में उप चुनाव हुआ। कांग्रेस ने अपने नेता की विरासत उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया को सौंप दी। 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शानदार वोट हासिल करने वाले निर्दलीय प्रत्याशी बलदेव ठाकुर पर भाजपा ने दांव खेला। लेकिन बाजी भवानी सिंह पठानिया के हाथ लगी।
भवानी सिंह पठानिया को 24,449 वोट पड़े थे, जबकि बलदेव ठाकुर को 18,660 वोट प्राप्त हुए थे। चूंकि भाजपा का इस चुनाव में दांव फेल हो गया था, लिहाजा पठानिया के सामने पठानिया को ही उतार दिया गया है।
राजन सुशांत का भविष्य…
ये विधानसभा चुनाव डाॅ. राजन सुशांत का भी भविष्य तय करेगा। 2014 से डाॅ. सुशांत हाशिए पर हैं। इस बार उनके लिए करो या मरो की सियासी जंग है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डाॅ. राजन सुशांत प्रदेश में एक पहचान रखते हैं, लेकिन धरातल पर असल चाबी जनता के हाथ में ही होती है। मतदाता ही ये तय करते हैं कि वास्तव में नेता की धरातल पर सच्चाई क्या है।
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भाजपा बदल रही प्रत्याशी…
खास बात ये है कि भाजपा इस विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी बदल देती है। 2012 में भाजपा ने बलदेव ठाकुर को प्रत्याशी बनाया। 2017 के चुनाव में कृपाल सिंह परमार को टिकट दे दिया गया। बलदेव ठाकुर ने बगावत कर भाजपा का खेल बिगाड़ दिया। नवंबर 2021 के चुनाव में भाजपा ने फिर बलदेव ठाकुर को टिकट दिया। लगातार तीसरी बार भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा।
पुनर्सीमांकन से पहले ये सीट ज्वाली विधानसभा क्षेत्र हुआ करती थी। 2007 में भाजपा ने राजन सुशांत को प्रत्याशी बनाया था, वो जीते थे। रोचक बात ये है कि 2003 के बाद से प्रत्याशियों को बदलने का सिलसिला भाजपा ने इस बार भी जारी रखा है।
भाजपा के राकेश पठानिया 6.99 करोड़ के मालिक
भाजपा के तेजतर्रार मंत्री राकेश पठानिया को पार्टी ने इस बार फतेहपुर हल्के से चुनाव मैदान में उतारा है। 58 वर्षीय राकेश पठानिया भी करोड़पतियों की सूची में शामिल है। उनका परिवार करीब 6.99 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का मालिक है। नामांकन के दौरान दिए चुनावी हल्फनामे में राकेश पठानिया ने अपने परिवार की चल संपत्ति 2.47 करोड़ और अचल संपत्ति 4.49 करोड़ दिखाई है।
राकेश पठानिया के पास 1.12 करोड़ की चल संपत्ति है। जबकि उनकी पत्नी के नाम 90.45 लाख और बेटी के नाम 2.32 लाख रूपये की संपत्ति दर्ज है। राकेश पठानिया के पास 3.15 लाख और पत्नी के पास 12.15 लाख के गहने हैं। इसके अलावा उनके नाम 2.13 करोड़ और पत्नी के नाम 1.51 करोड़ की अचल संपत्ति है। इसमें कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि है। रिहायशी भवन उनकी पत्नी के नाम है।
कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया के पास अकूत संपत्ति
दिवंगत मंत्री सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया (48) दोबारा फतेेहपुर से किस्मत आजमा रहे हैं। मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ सियासत में उतरे भवानी सिंह पठानिया के पास अकूत संपत्ति है। चुनावी हल्फनामे पर नजर डालें, तो वह 17.63 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं।
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हालांकि उन पर 3 करोड़ की देनदारियां भी हैं। उनका मुंबई में एक फलैट है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। भवानी सिंह पठानिया के पास 9.27 करोड़ की चल संपत्ति है। जिसमें नौ लाख के गहने हैं। उनके पास ट्रैक्टर समेत चार लग्जरी गाड़ियां भी हैं। इसके अलावा उनकी 6.53 करोड़ और पत्नी की 1.75 करोड़ की अचल संपत्ति है। इसमें कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि और रिहायशी भवन शामिल हैं।
आप प्रत्याशी राजन सुशांत के पास 3.19 करोड़ की चल-अचल संपत्ति
फतेहपुर के चुनावी रण में पूर्व मंत्री राजन सुशांत भी उतरे हैं। पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ने वाले सुशांत इस बार आप के प्रत्याशी हैं। राजन सुशांत के पास करीब 3.19 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है। उनका राजधानी शिमला में एक व्यवसायिक भवन भी है। इसके अलावा उनके नाम कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि व रिहायशी भवन है। चुनावी हल्फनामे के मुताबिक राजन सुशांत के पास 40 लाख और पत्नी के पास 24 लाख की चल संपत्ति है। राजन सुशांत की अचल संपत्ति 2.55 करोड़ है।
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निर्दलीय कृपाल परमार 3.28 करोड़ के मालिक, 30 लाख का कर्ज
भाजपा ने नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद कृपाल परमार (63) की चल एवं अचल संपत्ति 3.28 करोड़ है। नूरपुर में उनका एक बैंकेट हॉल है। चुनाव आयोग को दिए हल्फनामे में कृपाल परमार के पास 1.89 करोड़ की चल और 1.39 करोड़ की अचल संपत्ति है। उनके पास एक लाख और पत्नी के पास 12 लाख के गहने हैं। उन पर 30 लाख की देनदारियां भी हैं।
ये है मतदाताओं का आंकड़ा…
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में 90,203 मतदाता हैं। महिला मतदाताओं की संख्या 43,982 है, जबकि पुरुष वोटर 46221 हैं।
मुद्दे…
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र बेहद पिछड़ा है। मूलभूत सुविधाओं का यहां अभाव रहा है। सड़कें, स्वास्थ्य सुविधाओं व शैक्षणिक संस्थानों जैसी जरूरतों में क्षेत्र काफी पीछे है। पेयजल दिक्कत भी विकराल हो जाती है। बारिश के मौसम में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के लोग दुष्वारियों का सामना करने को मजबूर हैं क्षेत्र में कोई बड़ा शैक्षणिक व स्वास्थ्य संस्थान नहीं है। कुल मिलाकर फतेहपुर आज भी कांगड़ा का सबसे पिछड़ा विधानसभा क्षेत्र माना जाता है।