नाहन (एमबीएम न्यूज): शहर में एक ऐसी जगह है, जहां बैठकर सुकून मिलता है। इसी जगह को 1960 के दशक में शांति संगम का नाम दिया गया था। 1962 में अपने जमाने के नामी शिल्पकार सनत चटर्जी ने इस स्थान पर ऐसी जीवंत मूर्तियों का निर्माण किया था, जो देखने पर लगती हैं मानो बोल उठेंगी।
मंगलवार को इस खूबसूरत जगह को विकसित करने वाले मशहूर शिल्पकार सनत कुमार चटर्जी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। दीगर है कि चटर्जी को हिमाचल का नेकचंद भी कहा जाता रहा है। नाहन आर्टस कॉलेज में बतौर लैक्चरार 1960 के दशक में आए थे, जिनका निधन मंगलवार को शिमला में हुआ। बताते हैं कि डॉ. वाईएस परमार के आग्रह पर ही दिवंगत चटर्जी यहां पहुंचे थे।
पिछले आठ सालों से बीमार चल रहे चटर्जी को असल श्रद्धांजलि उसी सूरत में होगी, जब खंडहर में तबदील हो रही शांति संगम को नया जीवन दिया जाए। शांति संगम में स्व. चटर्जी ने 20 जीवंत मूर्तियों का निर्माण किया था, जो आज भले ही टूट-फूट चुकी हैं, लेकिन अपना आकर्षण कायम रखे हैं।
इसके अलावा रेणुका झील के किनारे भी 8 मूर्तियां उन्हीं की देन है। ओल्ड मोहन मेकिंग पार्क भी उन्हीं की कला का एक बेजोड़ नमूना रहा है। करीब 54 साल पहले जब चटर्जी ने इन जीवंत मूर्तियों का निर्माण किया होगा, तब उन्होंने नहीं सोचा होगा कि अगली पीढ़ी इसे नहीं सहेज पाएगी।
उधर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव अनिंद्र सिंह नौटी ने चटर्जी के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने माना कि शांति संगम का जीर्णोद्धार ही स्व. चटर्जी को असल श्रद्धांजलि होगी।
सभी तस्वीरें फाइल चित्र हैं।