नाहन (एमबीएम न्यूज) : यकीन करना मुश्किल हो सकता है, हकीकत है कि गिरिपार क्षेत्र के युवा लगातार अपनी मंजिल पाने की तरफ अग्रसर हैं।
संगड़ाह उपमंडल से चार युवा सहायक प्रोफैसर चुने गए हैं। बुधवार को जारी नतीजे मेें दिनेश व अमरा क्रमश इतिहास व हिन्दी विषय में प्रोफैसर बने हैं। रोचक बात यह है कि अमरा देवी के पिता मात्र तीन जमात पढ़े हैं। मिस्त्री का काम कर अपनी बेटी को कॉलेज में प्रोफैसर बनाने में सफल हुए हैं। अमरा ने संगड़ाह कॉलेज से 2012 में गै्रजुएशन पूरी की। 2014 में एमए की पढ़ाई करने के बाद जेआरएफ की परीक्षा क्वालीफाई की। वहीं दिनेश के पिता को लेकर रोचक बात यह है कि उनके पिता हेमचंद ने मात्र आठवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। दूध बेचने के साथ-साथ खेती कर अपने बेटों को पढ़ाया।
खास बात यह भी है कि युवाओं ने पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ-साथ सफलता अर्जित की है। बाऊनल गांव की नीलम ने हिन्दी विषय में सफलता पाई है। पिछड़े गांव से निकल कर बेटी उच्चशिक्षा प्रदान करेगी। माईना गांव के रमेश शर्मा ने राजनीतिक विज्ञान में सफलता पाकर परिवार का नाम रोशन किया है। उपमंडल के चारों ही प्रत्याशी बेहद साधारण परिवारों की पृष्ठभूमि से आते हैं।
रोहनाट उप तहसील के लाधी क्षेत्र से चार युवाओं ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता हासिल की है। इतिहास विषय में द्राबिल गांव के रविंद्र शर्मा महज 23 साल की उम्र में इस पद पर पहुंच गए हैं। राजनीतिक शास्त्र विषय में यशपाल व वीरेंद्र को भी सफलता मिली है। हिन्दी विषय में आत्माराम का चयन भी हुआ है। गौरतलब है कि बाऊनल की पुत्रवधू नीलम भी इसी क्षेत्र से ताल्लुक रखती है। अहम बात यह है कि मौजूदा में सिरमौर जिला परिषद के अध्यक्ष दलीप चौहान के अपने इलाके से चार युवाओं का चयन सहायक प्रोफैसर के पद पर हुआ है।
शिलाई क्षेत्र से तीन ने सफलता अर्जित की है। 35 वर्षीय वीना तोमर को राजनीतिक विज्ञान में सहायक प्रोफैसर बनने का अवसर मिला है। नाहन के ब्वॉयज स्कूल में कार्यरत वीना ने भी पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी की। वीना का कहना है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है।
उधर बकरास के भराईना गांव के सुनील शर्मा ने भी शैक्षणिक योग्यता ग्रामीण पृष्ठभूमि में हासिल की। आज सहायक प्रोफैसर बन गए हैं। प्रारंभिक पढ़ाई बेहद दुर्गम क्षेत्र बकरास में हासिल करने के बाद पांवटा कॉलेज से ग्रैजुएशन पूरी की। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया है। जरवा गांव के 35 वर्षीय यशपाल शर्मा ने भी राजनीतिक विज्ञान में सहायक प्रोफैसर बनकर परिवार के साथ-साथ शिक्षकों का मान बढ़ाया है।
राजगढ़ उपमंडल के थौड़ निवाड़ की अमिता राजनीतिक शास्त्र में सहायक प्रोफैसर बनने में सफल रही हैं। अमिता की खास बात यह है कि उसने अपनी पूरी पढ़ाई प्राईवेट ही पूरी की, क्योंकि परिवार शिक्षा का खर्चा वहन करने में समर्थ नहीं था।