मनाली (शैलेंद्र कालरा) : यकीन मानिए, सवा साल में मनाली की एसडीएम ज्योति राणा (40) ने ऐसी उपलब्धियां अर्जित की हैं, जो सुनने में तो आसान लग सकती हैं, लेकिन कर दिखाने में मुश्किल। यह भी तब, जब आठवीं में पढ़ रही बेटी शिवांगी व पांचवी में पढ़ रहे बेटे अर्जुन वीर की भी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। बच्चे पढ़ाई में अव्वल हैं। दीगर है कि एसडीएम ज्योति राणा के पति इंद्रवीर भारतीय सेना में कर्नल के पद पर तैनात हैं, जिनको जल्द ही बिग्रेडियर का रुतबा हासिल हो जाएगा। सोचिए, अगर एसडीएम को आधी रात को कहीं जाना हो तो बच्चे कैसे रात गुजारते होंगे।
एसडीएम के हरफनमौला अंदाज व सटीक एक्शन लेने की वजह से स्थानीय मीडिया में भी इसकी चर्चा लगातार होती रही है। अपने विनम्र स्वभाव की वजह से एचएएस अधिकारी हर किसी को चंद मिनटों में ही अपना बना लेने की काबलियत भी रखती हैं। गौरतलब है कि नाहन में बतौर एसडीएम अढ़ाई साल तक जिम्मेदारी निभाई थी। यहां भी उनका कार्यकाल जबरदस्त तरीके से प्रशंसनीय रहा था।
184 को ऐसे किया रेस्क्यू
दिसंबर 2015 में रोहतांग दर्रे पर फंसे 150 जीवन बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान अपने हाथ में रखी। इसके बाद बर्फीले तूफान में फंसे 18 लोगों को बचाने के लिए खुद ही आधी रात को मौके पर पहुंच गई। हालांकि इस दौरान एक महिला की मौत भी हो गई थी। इस बर्फीले तूफान में दर्जनों गाडिय़ां भी फंस गई थी। यह रेस्क्यू ऑपरेशन 15 घंटे चला था। चंद्रखनी में ट्रैकिंग के दौरान फंसे 8 युवकों को भी हेलीकॉप्टर के जरिए रेस्क्यू करवाया। देश का इसे सबसे मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन भी बताया गया था। इसमें कुल्लू सब डिवीजन ने भी अपना योगदान दिया था। मनाली से रोहतांग के बीच कोठीनाला में फंसे 8 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में स्वयं एसडीएम रस्सा खींचते नजर आई थी, जिसका वीडियो एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने भी अपलोड किया था।
हरफनमौला अधिकारी की यह भी है उपलब्धियां
-एनजीटी के आदेश को लेकर पर्यटन नगरी पूरे उत्तर भारत के मीडिया में छाई रही, क्योंकि इन आदेशों की पालना भी स्थानीय प्रशासन ने करनी थी। साथ ही उन लोगों को भी राहत दिलवानी थी, जो इससे प्रभावित हुए। इस कसौटी पर भी एसडीएम ज्योति राणा बखूबी खरी उतरी।
-मनाली में इसी साल ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सेमीनार हुआ। न्यायपालिका से जुड़े कई दिग्गज इसमें हिस्सा लेने पहुंचे। स्थानीय तौर पर प्रशासनिक मुखिया होने के कारण ज्योति राणा पर बड़ी जिम्मेदारी थी। लेकिन इतना बेहतरीन आयोजन हुआ कि प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने सफलतापूर्ण आयोजन के लिए एसडीएम को प्रशस्तिपत्र भेजा।
-इसी साल जनवरी में पंचायतीराज व स्थानीय निकायों के चुनाव भी होने थे। चुनाव के साथ-साथ विंटर कार्निवल का आयोजन भी था। एक साथ दोनों बड़े कार्यों को निभाना चुनौती था। एक से 10 जनवरी के बीच चुनाव थे तो 2 से 6 जनवरी के बीच विंटर कार्निवल। लेकिन दोनों ही चुनौतियों को सफलतापूर्ण निभाने में एसडीएम ने कामयाबी हासिल की।
-कुल्लू दशहरा में एक अनूठा फैशन शो हुआ, इसमें जब 85 साल की महिलाएं स्थानीय परिधानों मेंं रैंप पर उतरी तो हर कोई एसडीएम की तरफ देख रहा था, क्योंकि इस तरह के कार्यक्रम की एसडीएम खुद सूत्रधार थी।
-अतिक्रमण के खिलाफ ऐसी मुहिम चलाई कि जब वह बाजार में या फिर रोहतांग की तरफ जाती थी तो अचानक ही अतिक्रमणकारियों में खलबली तो मचती थी, साथ ही मैडम आई, मैडम आई का संदेश प्रचारित हो जाता है।
-2015 में एसडीएम ने एक अनूठी पहल भी शुरू की थी। गत वर्ष जब महिलाएं भैया दूज की छुट्टी मना रही थी तो वह वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बाहंग के स्टुडेंटस की क्लास लेने पहुंच गई। भैया दूज की वजह से अधिकतर महिला स्टाफ छुट्टी पर था, तो इस कमी को एसडीएम ने पूरा किया। बाद में भी कई स्कूलों में गई।
एक ऑपरेशन के दौरान कैसे स्वयं रस्सा खींच एसडीएम ने किया था मजदूर को रेस्क्यू, इस क्लिक पर देखें वीडियो। http://goo.gl/EpH7Xu