चंडीगढ़, 18 अप्रैल : हरियाणा कांग्रेस में लोकसभा टिकटों को लेकर घमासान जारी है। कई दिनों की मैराथन बैठकों के बाद अब वीरवार देर शाम हरियाणा की टिकटों को फाइनल किया जा सकता है। टिकटों के आबंटन को लेकर राहुल गांधी को अब सीधा हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।
वीरवार को केसी वेणु गोपाल के अलावा सलमान खुर्शीद और मधुसूदन मिस्त्री ने दिल्ली में कई वरिष्ठ कांग्रेसियों से मुलाकात कर टिकटों के आबंटन पर चर्चा की। हरियाणा कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सबसे अधिक पेंच फंसा रखा है। हुड्डा आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के समक्ष आने वाले सभी कांटों को निकालना चाहते हैं। खुद हुड्डा चुनाव लड़ने से गुरेज कर रहे हैं।
वहीं, वह भिवानी-महेंद्रगढ़ से किरण चौधरी को हर हाल में चुनाव लड़वाने की पैरवी कर रहे हैं। दिवंगत बंसी लाल की बहू किरण चौधरी इस सीट पर अपनी बेटी श्रुति चौधरी को टिकट दिलवाना चाहती हैं, मगर हुड्डा इस बात पर अड़े हैं कि यदि किरण चौधरी ने चुनाव नहीं लड़ना है तो यहां से उनके समर्थक राव दान सिंह को टिकट दिया जाए।
गौरतलब है कि हुड्डा के साथ शैलजा, किरण चौधरी व रणदीप सुरजेवाला की तिगड़ी का 36 का आंकड़ा है। अशोक तनवर के बीजेपी में जाने से हुड्डा का एक प्रतिद्वंदी कम हुआ। मगर इन सभी नेताओं को ठिकाने लगाने के चक्कर में कांग्रेस हरियाणा में पिछड़ती जा रही है। हिसार लोकसभा क्षेत्र से पुराने कांग्रेसी वीरेंद्र सिंह के बेटे विजेंद्र सिंह को भी हुड्डा टिकट नहीं देने के पक्ष में है।
विजेंद्र जो पहले आईएएस की नौकरी छोड़ भाजपा के टिकट पर हिसार से एमपी बने थे, अब उनकी वापसी कांग्रेस में हो गई है। यहां भी हुड्डा अपने समर्थक जय प्रकाश को टिकट दिलवाना चाहते हैं।
वहीं, सुरजेवाला विजेंद्र सिंह के पक्ष में है। बीच में पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजन लाल के पुत्र चंद्रमोहन को कांग्रेस आलाकमान यहां से टिकट देना चाह रही थी, क्योंकि हिसार के आदमपुर के अलावा तीन-चार अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भजन लाल परिवार का अच्छा-खासा वोट बैंक है। इन सभी समीकरणों के चलते हिसार में एक अनार-सौ बीमार की स्थिति बनी हुई है।
इस सब कवायद में नुकसान कांग्रेस का हो रहा है। कांग्रेस के लिए हरियाणा में काफी संभावनाएं बनी हुई हैं। मगर, हुड्डा की हठधर्मिता के चलते उनकी राहें दिन-प्रतिदिन मुश्किल होती जा रही हैं। विधानसभा चुनाव में अभी छह माह का समय है। पिछली दफा भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा क्रमशः सोनीपत व रोहतक से चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके उन्होंने आलाकमान पर दबाव बनाया हुआ है। वो चाहते हैं कि ज्यादातर उम्मीदवार उनके पक्ष में हों।
वहीं, रणदीप सुरजेवाला को पहले ही राज्य की राजनीति से बाहर कर हुड्डा एक और कांटे को रास्ते से हटा चुके हैं। सुरजेवाला इस समय राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं।
कुल मिलाकर टिकट आबंटन की देरी कांग्रेस के लिए जहां लोकसभा चुनाव में नुकसान करेगी, वहीं आगामी छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी गुटबाजी के चलते कांग्रेस को मनमाफिक नतीजों से महरूम रहना पड़ सकता है।
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