शिमला, 12 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट (Mandi Lok Sabha seat) पर युवा नेत्री व नेता तुर्क शब्दभेदी बाण चला कर एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। चुनाव में एक माह से ज्यादा समय शेष है। बेशक ही कांग्रेस ने उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। मगर, अभिनेत्री कंगना रनौत व राज्य में 6 मर्तबा मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे और युवा मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच जुबानी जंग ऐसे मुहाने पर पहुंच गई है, जिसे हिमाचलियों ने चुनाव प्रचार के दौरान पहले नहीं सुना। खास बात यह भी है कि कंगना रनौत ( Kangana Ranaut) के बयान जनता के लिए मनोरंजन का साधन भी बन गए है। चुनाव तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर रहता है।
मुद्दा यह नहीं है कि शुरुआत किसने की। सोचने योग्य बात यह है कि भाजपा व कांग्रेस के जंगबाज उम्र के उस पड़ाव में है, जहां आक्रमकता व्यक्तित्व पर हावी रहती है। लेकिन व्यक्तिगत हो जाना राजनीतिक पक्षों की भविष्य की राजनीति के लिए ठीक नहीं है। मनाली जनसभा में कंगना (kangna ranaut) ने हिमाचल की शांत फिजाओं में पहली दफा टिप्पणियां कर चुनावी माहौल में फ्रंटफुट पर खेलने का ऐलान किया। शुक्रवार को कंगना ने युवा मंत्री को “छोटा पप्पू, राजा बाबू ,पलटू राम व राजा बेटा” तक कह दिया।
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उधर,विक्रमादित्य (vikramaditya singh) ने सुरक्षात्मक बल्लेबाज की तरह कंगना के हर वार को डिफेंड न कर गेंद को विकेटकीपर (wicketkeeper) के दस्तानों में जाने दिया है। वो जानते हैं कि उन्हें लम्बी राजनीतिक पारी खेलनी है। प्रदेश की राजनीति में परिवार का एक खास स्थान हैं। शुरू में विक्रमादित्य सिंह ने एक-दो शब्दों के पूल व हुक मारे। वहीं वीरवार को उन्हें यह भी आत्मबोध हो गया कि प्रतिक्रिया की सीमा को नहीं लांघना होगा। क्योंकि विपक्षी गेंदबाज के पास खोने को कुछ नहीं हैं। वह जीतती हैं या हारती हैं, उनके भविष्य पर कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। विक्रमादित्य के सामने एक टैस्ट बल्लेबाज की तरह लंबी पारी खेलने व पिच पर जमे रहने के लिए व्यक्तव्यों का संयम जरूरी है।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा वैसे-वैसे जुबानी जंग बढ़ेगी, जो देवभूमि के राजनीतिक परिपेक्ष में सही नहीं है। न ही दोनों युवा उम्मीदवारों के लिए ठीक है। कंगना रनौत को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि भाषा की मर्यादा भाषणों में दिखे, क्योंकि वह भी हिमाचल की बेटी हैं। यहां हर घर में ग्रेजुएट युवक व युवतियां हैं। शिक्षित होने के साथ-साथ हिमाचल के लोग समूचे देश भर में संस्कारों के लिए जाने जाते हैं। अब तक जो कुछ हुआ यह दोनों पक्षों के जरूरत से ज्यादा व्यक्तिगत होने के कारण हुआ है।
विक्रमादित्य की प्रतिक्रिया से जाहिर हो रहा है कि वह भविष्य (Future) में इस प्रकार की बयानबाजी से गुरेज करेंगे। कंगना को इस बात का बोध नहीं है कि फ़िल्मी पर्दे (film screen) के डायलॉग और राजनीतिक मंचों में बड़ा अंतर होता है। फिल्मों डायलॉग में जवाब नहीं देना होता है,लेकिन राजनीतिक जीवन में जनता हर कदम पर जवाबदेही होती है। सोशल मीडिया के दौर में राजनीति जीवन में बड़बोलापन साबित हो सकता है।
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हालांकि, चंद रोज पहले कंगना पर भी बीफ के सेवन लेकर जुबानी हमला हुआ था। लेकिन,कंगना ने आक्रामक तरीके से तुरंत जवाब देने से परहेज किया था, लेकिन अब शब्दावली अचानक ही आक्रामक हो गई है ,विक्रमादित्य सिंह के साथ -साथ राहुल गांधी को भी लपेट लिया है। देखना ये होगा, वो केवल शब्दों के बाण से ही चुनाव की बिसात में कामयाबी हासिल करती है या नहीं।