सोलन (शैलेंद्र कालरा): शनिवार सुबह सवा 10 बजे पंजाब के 34 वर्षीय जसविंदर उर्फ रॉकी को शार्प शूटर्स ने गोलियां दाग कर मौत की नींद सुला दिया। दरअसल रॉकी खुद भी गैंगस्टर रहा था। रॉकी एक नामी गैंगस्टर प्रभजिंद्र सिंह उर्फ डिम्पी का करीबी रहा, जिसकी हत्या 2006 में हुई थी। डिम्पी के मर्डर में भी रॉकी अरेस्ट हुआ था, लेकिन अदालत से बरी हो गया था। मार्च 2015 में फरीदकोट के तत्कालीन एसएसपी चरणजीत के टाईम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित बयान की मानें तो रॉकी ने अपने करीबी डिम्पी के साथ मिलकर बद्दी के सुभाष अग्रवाल का अपहरण कर एक करोड़ 30 लाख रुपए की फिरौती वसूली थी। इसके बाद 1997 में वाराणसी के नंद किशोर के अपहरण से सवा करोड़ रुपए वसूले गए।
पंजाब में रॉकी के खिलाफ 15 के आसपास संगीन जुर्म के मामले दर्ज हैं। रॉकी का नाम विदेशी हथियारों की समगलिंग से भी जुड़ा रहा। एक साल पहले रॉकी से विदेशी हथियार भी बरामद हुए थे। 2012 में आपराधिक छवि से निकल कर रॉकी ने अपने को सुधारने की कोशिश भी शुरू की। रॉकी ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर पंजाब के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री सुरजीत कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा। मात्र 1600 मतों से रॉकी चुनाव हार गया। इस चुनाव में रॉकी ने भाजपा के सुरजीत कुमार को कड़ी टक्कर दी। बीजेपी के सुरजीत को 40,901 मत पड़े थे, जबकि रॉकी ने भी 39,209 वोट हासिल किए। 2017 के चुनाव के लिए रॉकी पूरी तरह से तैयारी में जुटा हुआ था।
टिंबर ट्रेल के समीप इस शूट आउट का रॉकी को कतई अंदाजा नहीं रहा होगा। साथ सुरक्षाकर्मी भी थे, मगर शार्प शूटर्स ने कोई मौका नहीं दिया। संभवत: परवाणु को इस शूट आउट के लिए कुछ खास कारणों से चुना गया होगा। सबसे बड़ा कारण यहां से फरार होने में आसानी रहा होगा। चंद मीटर दूर ही हरियाणा की सीमा शुरू हो जाती है। मात्र 15 से 20 मिनट की ड्राइव पर चंडीगढ़ व पंचकूला पहुंचा जा सकता है। सुबह से ही घटनास्थल पर एसपी अंजुम आरा स्थिति का जायजा लेने में लगी हुई हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में एसपी ने माना कि पुरानी रंजिश इस शूट आउट की वजह हो सकती है। उन्होंने कहा कि रॉकी की पृष्ठभूमि को लेकर भी जानकारी जुटाई जा रही है। इसके मुताबिक रॉकी कई संगीन मामलों में संलिप्त था।