नाहन (एमबीएम न्यूज): 11वीं कक्षा में शिक्षा हासिल कर रहे कुल्लू के रहने वाले राजकुमार से कुदरत ने पैदा होते ही आंखों की रोशनी छीन ली। मगर कुछ इनायतें ऐसी दी, जो उसे दृष्टि वाले लोगों से भी जुदा करती हैं। यहां चैस अकादमी में दृष्टिहीन शतरंज खिलाडिय़ों के लिए विशेष तरह के चैस बोर्ड रखे गए हैं, लेकिन राजकुमार सामने बैठे प्रतिद्वंदी के मूव से ही गेम को भांप लेता है। कतई नहीं कहा जा सकता कि सामने बैठा खिलाड़ी आंखों से नहीं देख सकता है।
17 वर्षीय राजकुमार कई बार दृष्टिहीनों की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा ले चुका है। मगर उसका जज्बा देखकर लगता है कि वह सब कुछ देख सकने वालों को भी शतरंज की बिसात पर मात दे सकता है। शहर के एक युवक आशीष ठाकुर को दाद देनी पड़ेगी, जिन्होंने शहर में चैस अकादमी स्थापित की है, जहां स्कूली छात्रों को बौद्धिक विकास का मौका मिल रहा है। साथ ही राजकुमार जैसे बच्चे भी अपने टेस्ट के मुताबिक प्रतिभा का जौहर दिखा रहे हैं। रविवार को राजकुमार ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क के प्रतिनिधि के साथ चैस का मैच खेला। इससे साबित हो गया कि बिना आंखों की रोशनी के ही राजकुमार बेहद उम्दा खिलाड़ी है।
विशेष बातचीत में राजकुमार ने कहा कि उसे बचपन से ही शतरंज खेलने का शोक है। उसे इस खेल के बारे में उसके एक सीनियर ने बताया था। सिरमौर चैस एसोसिएशन के महासचिव आशीष ठाकुर का कहना है कि राजकुमार का शतरंज के प्रति समपर्ण व जिज्ञासा को लेकर अकादमी भी उसे हर स्तर तक सुविधा प्रदान करेगी। ठाकुर ने कहा कि यह उनका सपना है कि एक दिन राजकुमार देश का नाम इस खेल में रोशन करे।