शिमला, 3 अगस्त: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल(IGMC) के रेडयोलॉजी विभाग में तैनात सहायक प्रोफेसर डॉ शिखा सूद (Dr Sikha Sood) ने एक बार फिर इतिहास रचा है। इस बार उन्होंने कोटखाई (Kotkhai) के बागड़ा से आए 66 साल के अमर सिंह को हपैटिक आरटरी (Hepatic) की क्वाइलिंग कर नई जिंदगी दी है। यह उपचार पहली बार आईजीएमसी में हुआ है। अमर सिंह की गंभीर अवस्था को देखते हुए तुरंत सीटी स्कैन एवं अल्ट्रासाउंड किया गया, जिसमें बीमारी का पता चला कि पित की थैली(Gall Bladder) में तीन सेंटीमीटर की पत्थरी है, जो थैली को चीरती हुई पित की नली में फंस गई है,यही नहीं पत्थर ने साथ ही हपैटिक आरटरी को भी चीर दिया। इसी कारण मरीज की हालत गंभीर हुई और उसे सूडोएन्यूरिज्म (Pseudo aneurysm) हो गया। ऐसी अवस्था में मरीज में खून नसों से बाहर एकत्रित हो जाता है तथा किसी भी समय फट जाने से मरीज की मौत (Death) होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज का आपरेशन नहीं किया जा सकता।
हिमाचल प्रदेश(Himachal Pardesh) के लिए और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉ शिखा(Dr Shikha)पहली ऐसी डाक्टर हैं, जिन्होंने हाल ही में एम्स न्यू दिल्ली में इंटरवेंशन रेडयोलॉजी(Intervention radiology) में प्रशिक्षा प्राप्त किया है। उन्होंने गैस्टोइन्टैस्टाइनल रेडियोलॉजी में फैलोशिप की है। यहां आईजीएमसी में पुन: कार्यभार संभालने के बाद डॉ शिखा ने विभाग में हार्ड वेयर की व्यवस्था करवाई और इस मरीज का उपचार के बाद नई जिंदगी दी। बता दें कि डॉ शिखा इसके अलावा अन्य कई और तरीके के इंटरवेशनस कर रही है, जो हिमाचल के उच्चतम शिक्षण संस्थान आईजीएमसी में पहली मर्तबा हो रही है।
डॉ सूद अभी तक कई मरीजों का उपचार बिना चीर फाड़ (Tearing apart) के कर चुकी हैं। उन्होंने मरीज की टांग की नस से जाते हुए हपैटिक आटरी तक पहुंच कर सूडोएन्यूरिज्म को मेन आरटिरयल से अलग कर दिया। साढ़े चार घंटे तक चला यह आपरेशन पूरी तरह सफल रहा।
उन्होंने बताया कि उपचार के दौरान मरीज पूरी तरह होश में था और सामने रखे मॉनिटर (Monitor) में स्वयं का आपरेशन होता देख रहा था। यहां तक मरीज वरबल कमांडस (Verbal commands) को भी फॉलो कर रहा था। उनका कहना था कि आरटीज की क्वाइलिंग शरीर के किसी भी हिस्से में जहां कहीं भी सूडोएन्यूरिजम बन गया हो, की जा सकती है। यह सूडोएन्यूरिजम टयूमर, टामा, इन्फेक्शन या इनफलेमिशन के कारण बन सकते हैं।
हिमाचल में डॉ शिखा की बदौलत पहली बार IGMC में बिना चीर फाड़ के Biliary obstruction सर्जरी
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डॉ शिखा ने बताया कि मरीज अब एक दम स्वस्थ है और चल फिर भी रहा है। मरीज ने स्वयं भोजन करना आरंभ कर दिया है। उन्होंने बताया कि सर्जन को अब बता दिया गया है कि उनके द्वारा मरीज की बीमारी को खत्म कर दिया गया है और अब वह उसकी सर्जरी कर सकते हैं। गौरतलब है कि डॉ शिखा सूद ने हाल ही में इससे पहले भी मरीजों को नई जिंदगी दी है, उन्होंने पीटीबीडी विद इन्जरनेलाइजेशन करके भी आईजीएमसी में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए नए तरीके के ऑपरेशन का दौर आरंभ कर दिया है।
उन्होंने बताया कि मरीज के उपचार के दौरान दो जूनियर डाक्टर्स आबोरेशी और राजेश को इस बीमारी को लेकर पूरा ज्ञान दिया और मरीज को हुई बीमारी को लेकर विस्तार से पढ़ाया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके साथ आपरेशन थियेटर में नर्स सुनीता रेडियो ग्राफर तेजेन्दर भी मौजूद रहे। डॉ शिखा ने बताया कि ऐसे मरीजों को अब पीजीआई या एम्स जाने की जरूरत नहीं होगी।
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